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'चावल उत्सव' की गरिमा पर दाग: बलरामपुर में खराब चावल की आपूर्ति, मिलर्स से मिलीभगत का आरोप

'चावल उत्सव' की गरिमा पर दाग: बलरामपुर में खराब चावल की आपूर्ति, मिलर्स से मिलीभगत का आरोप: बलरामपुर :  छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा है क...


'चावल उत्सव' की गरिमा पर दाग: बलरामपुर में खराब चावल की आपूर्ति, मिलर्स से मिलीभगत का आरोप:

बलरामपुर : छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा है कि राज्य का कोई भी गरीब नागरिक भूखा न रहे। इसी उद्देश्य से सरकार ‘चावल उत्सव’ के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से तीन-तीन महीने का राशन एकमुश्त देकर लोगों को राहत दे रही है। लेकिन बलरामपुर जिले में इस योजना की पवित्रता पर उस समय प्रश्नचिह्न लग गया, जब वाड्रफनगर क्षेत्र की राशन दुकानों में खराब गुणवत्ता वाला चावल सप्लाई किया गया।

जानकारी के अनुसार, प्रेमनगर स्थित सरकारी वेयरहाउस से जौराही राशन दुकान के लिए भेजे गए चावल को संचालक ने वापस लौटा दिया, क्योंकि हितग्राहियों ने खराब चावल लेने से इनकार कर दिया। यह सिर्फ एक isolated मामला नहीं है, बल्कि क्षेत्र में कई राशन दुकानों से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं।

स्थानीय सूत्रों और संचालकों का आरोप है कि यह सब नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के अधिकारियों और राइस मिलर्स की मिलीभगत से हो रहा है। मिलर्स पर आरोप है कि वे निम्न गुणवत्ता का चावल सप्लाई कर रहे हैं, जबकि शासन इसके भंडारण और वितरण पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। जवाबदेही की बजाय मिलर्स खराब भंडारण व्यवस्था को दोष दे रहे हैं।

पूर्व में भी प्रेमनगर वेयरहाउस में इसी तरह की अनियमितताओं के कारण नान के तत्कालीन जिला प्रबंधक को निलंबित किया गया था। बावजूद इसके, ऐसी घटनाएं दोबारा सामने आना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।

इस संबंध में जब नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक दिनेश ओझा से बात की गई, तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “हमें खराब चावल की शिकायत मिली है। टीम गठित कर जांच करवाई जाएगी, और दोषी मिलर्स से चावल वापस लेकर गुणवत्तायुक्त चावल भेजा जाएगा।”

लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब विभाग में गुणवत्ता जांच की व्यवस्था पहले से है, तो फिर खराब चावल की रिसीविंग क्यों की गई? क्या यह लापरवाही है या सुनियोजित भ्रष्टाचार?

इस प्रकार ‘चावल उत्सव’ जैसी कल्याणकारी योजना को यदि अफसरशाही और मिलर्स की मिलीभगत से पलीता लगाया जाएगा, तो इसका सीधा असर प्रदेश की गरीब जनता पर पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी तय करना अनिवार्य हो गया है।




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