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महज दो घंटे में 200 स्कूल बसों की जांच पूरी: औपचारिकता तक सिमटी कार्रवाई, कई बसें बगैर फिटनेस और दस्तावेजों के मिलीं

  महज दो घंटे में 200 स्कूल बसों की जांच पूरी: औपचारिकता तक सिमटी कार्रवाई, कई बसें बगैर फिटनेस और दस्तावेजों के मिलीं बिलासपुर : प्रदेशभर म...

 महज दो घंटे में 200 स्कूल बसों की जांच पूरी: औपचारिकता तक सिमटी कार्रवाई, कई बसें बगैर फिटनेस और दस्तावेजों के मिलीं

बिलासपुर : प्रदेशभर में 16 जून से स्कूलों के खुलने की तैयारी जोरों पर है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा को लेकर ट्रैफिक पुलिस की तैयारियों पर सवाल उठने लगे हैं। बुधवार को महज दो घंटे में ट्रैफिक पुलिस ने 200 से अधिक स्कूल बसों की जांच की। यह जांच अधिकतर औपचारिकता मात्र बनकर रह गई।

जांच के दौरान कई बसों में फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं था, वहीं कई ड्राइवर अधूरे दस्तावेज लेकर पहुंचे। हैरानी की बात यह रही कि कई बसों के ब्रेक, टायर और फर्स्ट-एड किट जैसे जरूरी उपकरणों की भी जांच नहीं की गई। कुछ चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस और बीमा पत्र भी अधूरे या समाप्ति की स्थिति में पाए गए।

इस लापरवाही से बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अभिभावकों का कहना है कि जांच के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है, जबकि स्कूल बसों की तकनीकी स्थिति और चालक की योग्यता का पूरा सत्यापन जरूरी है।


ट्रैफिक पुलिस का दावा:

ट्रैफिक विभाग का कहना है कि प्राथमिक जांच पूरी की गई है और जिन बसों में खामियां मिली हैं, उन्हें सुधार के निर्देश दिए गए हैं। जरूरत पड़ी तो दोबारा जांच की जाएगी।


विशेषज्ञों की राय:

परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में बसों की जांच महज दो घंटे में करना न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि यह बच्चों की सुरक्षा के साथ समझौता करने जैसा है। जरूरत है कि इस प्रक्रिया को गंभीरता से लिया जाए और हर वाहन का पूरी तरह से तकनीकी परीक्षण किया जाए।


अभिभावकों की मांग:

शहर के कई अभिभावकों ने मांग की है कि स्कूल बसों की जांच एक पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया के तहत हो, ताकि बच्चों की सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता न हो।



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