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गोंडी भाषा संरक्षण की ओर एक मजबूत कदम: बस्तर के 26 शिक्षक सीख रहे मातृभाषा का महत्व

गोंडी भाषा संरक्षण की ओर एक मजबूत कदम: बस्तर के 26 शिक्षक सीख रहे मातृभाषा का महत्व कोंडागांव :  आदिवासी भाषा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा...


गोंडी भाषा संरक्षण की ओर एक मजबूत कदम: बस्तर के 26 शिक्षक सीख रहे मातृभाषा का महत्व

कोंडागांव : आदिवासी भाषा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल करते हुए कोंडागांव में गोंडी भाषा शिक्षक प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत हुई है। यह सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्राम मसोरा में स्थित जंगो रायतार समाज कल्याण समिति के स्कूल परिसर में आयोजित किया गया है।

इस शिविर में बस्तर संभाग के विभिन्न क्षेत्रों से आए कुल 26 शिक्षक भाग ले रहे हैं। इन शिक्षकों को गोंडी भाषा, व्याकरण, पारंपरिक कहानियाँ, लोकगीत, और सांस्कृतिक विरासत के विविध पहलुओं की गहराई से जानकारी दी जा रही है।

शिविर का उद्देश्य न सिर्फ गोंडी भाषा का शुद्ध उच्चारण और लेखन सिखाना है, बल्कि भाषा के माध्यम से पीढ़ियों से चली आ रही सांस्कृतिक पहचान को भी पुनर्जीवित करना है। कार्यक्रम में अनुभवी गोंडी भाषा विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो वर्षों से इस भाषा की सेवा में समर्पित हैं।

समिति के अध्यक्ष ने बताया, “गोंडी भाषा केवल एक संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की पहचान है। जब शिक्षक इसे सीखेंगे, तो यह ज्ञान विद्यालयों के माध्यम से हजारों बच्चों तक पहुंचेगा।”

इस प्रशिक्षण शिविर को स्थानीय समुदाय से भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए भाषा और संस्कृति की एक अमूल्य धरोहर साबित होगी।

यह आयोजन न केवल भाषाई पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि यदि प्रयास ईमानदार हों तो पारंपरिक विरासत को फिर से जीवंत किया जा सकता है।




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