सशस्त्र बलों में समन्वय और अनुशासन को नया ढांचा: सरकार ने ISO अधिनियम 2023 के तहत नियम अधिसूचित किए 4thcolumn.in, नई दिल्ली, 28 मई 2025...
सशस्त्र बलों में समन्वय और अनुशासन को नया ढांचा: सरकार ने ISO अधिनियम 2023 के तहत नियम अधिसूचित किए
4thcolumn.in, नई दिल्ली, 28 मई 2025 — भारत सरकार ने 27 मई 2025 को अंतर-सेवाएं संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम 2023 के तहत नियमों को अधिसूचित कर दिया है। इस अधिसूचना के साथ ही यह अधिनियम अब पूर्ण रूप से प्रभावी हो गया है। रक्षा क्षेत्र में इसे एक बड़ा और दूरगामी कदम माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य है सशस्त्र बलों के बीच वास्तविक 'जॉइंटनेस' को लागू करना।
क्या है ISO अधिनियम 2023?
यह अधिनियम उन संगठनों के लिए बनाया गया है जहाँ थल सेना, नौसेना और वायुसेना के कार्मिक एक साथ कार्य करते हैं, जैसे — थियेटर कमांड, लॉजिस्टिक हब, प्रशिक्षण अकादमियां आदि। अब तक इन संगठनों में कार्यरत अधिकारी केवल अपनी मूल सेवा (Service) के कार्मिकों पर ही अनुशासनात्मक अधिकार रखते थे, जिससे अनुशासन और संचालन में देरी और भ्रम की स्थिति बनती थी।
ISO अधिनियम 2023 को 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी और यह 10 मई 2024 से लागू किया गया था। इसके तहत आवश्यक संगठनों को 27 दिसंबर 2024 को अधिसूचित किया गया था।
नियम क्यों जरूरी थे?
हालांकि अधिनियम पहले से लागू था, लेकिन जब तक उसके तहत बनाए जाने वाले उप-नियम (Subordinate Rules) अधिसूचित नहीं होते, तब तक किसी भी अधिकारी को कानूनी रूप से अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियाँ नहीं मिल पातीं।
ये नियम अधिनियम की धारा 11 के तहत बनाए गए हैं और अब यह स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं कि:
- ISO के कमांडर अन्य सेवाओं के अधीनस्थ कार्मिकों पर कैसे अनुशासन लागू कर सकते हैं
- अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया क्या होगी
- प्रशासनिक नियंत्रण और संचालन में समन्वय कैसे सुनिश्चित किया जाएगा
कौन-कौन से संगठन इसके दायरे में आएंगे?
दिसंबर 2024 की अधिसूचना के अनुसार, निम्नलिखित संगठन फिलहाल ISO अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किए गए हैं:
- एंडेमिक थिएटर कमांड्स (Eastern, Northern etc.)
- अग्रिम तैनात संयुक्त लॉजिस्टिक सेंटर
- संयुक्त प्रशिक्षण संस्थान जैसे NDA, DSSC आदि
कितना बड़ा है बदलाव?
यह बदलाव केवल प्रशासनिक प्रक्रिया भर नहीं है, बल्कि यह विवाद समाधान, तेजी से निर्णय, और एकीकृत सैन्य प्रतिक्रिया के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पहले यदि एक थल सेना अधिकारी के अधीन कोई वायुसेना जवान काम कर रहा होता, और अनुशासन से संबंधित कोई मुद्दा आता, तो उसे उसकी मूल सेवा में रिपोर्ट करनी होती थी, जिससे प्रक्रिया लंबी और जटिल हो जाती थी।
अब ISO कमांडर उस जवान पर अनुशासन लागू कर सकते हैं, जिससे मामलों का स्थानीय स्तर पर शीघ्र निपटान संभव होगा। इससे सेना की लड़ाकू तत्परता (Combat Readiness) में सीधा सुधार होगा।
क्या बदलता नहीं?
महत्वपूर्ण यह है कि किसी भी ISO अधिकारी को दूसरे सेवा के जवान की सेवा शर्तें (Service Conditions) बदलने या उसके प्रमोशन/पोस्टिंग को प्रभावित करने की शक्ति नहीं दी गई है। इसका उद्देश्य केवल अनुशासन, नियंत्रण और संचालन को दक्ष बनाना है — न कि सेवाओं की स्वतंत्र पहचान को समाप्त करना।
भविष्य की दिशा: थियेटर कमांड्स की नींव
इस अधिनियम और नियमों की पूरी रूपरेखा थियेटर कमांड के लिए आधार तैयार करती है — एक ऐसा ढांचा जिसमें तीनों सेनाएं एकीकृत रूप से युद्ध संचालन करेंगी। यह अमेरिका और रूस जैसे देशों में पहले से मौजूद संरचना है, और भारत अब उसी दिशा में बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
ISO अधिनियम और उसके नियमों की अधिसूचना भारत की रक्षा नीति में एक मजबूत, संरचित और समन्वित बदलाव का संकेत है। यह केवल ‘संयुक्तता’ की बात नहीं करता, उसे कानूनी, प्रशासनिक और रणनीतिक वास्तविकता में बदलने का प्रयास है — और यह 21वीं सदी की युद्ध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अत्यंत आवश्यक कदम है।
— विश्लेषण: 4thColumn.in
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