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आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक एकजुटता की पुकार

ले खक : शुभांशु झा | 1 मई 2025 :  जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा पर चोट की है, बल्कि ...



लेखक: शुभांशु झा | 1 मई 2025 : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा पर चोट की है, बल्कि एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष इस सच्चाई को पुनः उजागर कर दिया है कि आतंकवाद अब किसी एक देश की समस्या नहीं रहा। इस भयावह हमले के परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी रक्षा मंत्री द्वारा भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह से की गई फोन वार्ता सिर्फ संवेदना व्यक्त करने का औपचारिक कदम नहीं, बल्कि एक गहरा भू-राजनीतिक संकेत है।

इस बातचीत में श्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को एक दुष्ट राष्ट्र के रूप में स्पष्ट शब्दों में चिन्हित किया और वैश्विक समुदाय से इस तरह की आतंकी गतिविधियों की निर्भीक और स्पष्ट निंदा करने का आह्वान किया। उनका यह वक्तव्य केवल एक आक्रोशपूर्ण प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक नीति संकेत भी है—जिसमें भारत अब केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कूटनीतिक और सामरिक स्तर पर भी पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

अमेरिका का यह स्पष्ट समर्थन — भारत के आत्मरक्षा के अधिकार की पुनः पुष्टि — इस बात को इंगित करता है कि वाशिंगटन अब दक्षिण एशिया में आतंकवाद के मसले पर और अधिक स्पष्ट और निर्णायक रुख अपनाने की ओर अग्रसर है। पीट हेगसेथ का यह कथन कि “अमेरिका भारत के साथ एकजुट है” केवल द्विपक्षीय संबंधों का मजबूतीकरण नहीं है, बल्कि एक व्यापक संदेश है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक साझेदारी अब केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि व्यावहारिक नीति बन रही है।

विश्लेषकों का मानना है कि यह संवाद भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है, विशेषकर जब दोनों देश आतंकवाद के खात्मे के लिए खुफिया साझेदारी, रक्षा सहयोग और कूटनीतिक दबाव जैसी बहुपक्षीय रणनीतियों पर साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

आज जब आतंकवाद सीमाओं को लांघकर वैश्विक शांति को चुनौती दे रहा है, तब पहलगाम जैसी घटनाएँ न केवल भारत की संवेदनशीलता को उजागर करती हैं, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी यह चेतावनी हैं कि यदि समय रहते संगठित और सामूहिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई, तो इसकी आग कहीं भी पहुँच सकती है।

अब समय आ गया है कि विश्व समुदाय केवल निंदा और संवेदना की औपचारिकताएँ पूरी न करे, बल्कि पाकिस्तान जैसे देशों पर ठोस कार्रवाई का दबाव बनाए। भारत और अमेरिका का यह साझा संदेश यही स्पष्ट करता है—आतंकवाद के विरुद्ध अब कोई ढिलाई नहीं चलेगी।

"लेखक: शुभांशु झा, ग्लोबल विज़न आईटी कंपनी, 4th column news, और VBFC WELFARE FOUNDATION के फाउंडर होने के साथ-साथ विकसित भारत के लिए सभी संभव प्रयासों के प्रति समर्पित विचारक और कार्यकर्ता हैं।"

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