छत्तीसगढ़, जिसे 'धान का कटोरा' कहा जाता है, आज जल संकट की गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है। राज्य के कई जिलों में भूजल स्तर तेजी से ...
छत्तीसगढ़, जिसे 'धान का कटोरा' कहा जाता है, आज जल संकट की गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है। राज्य के कई जिलों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, जिससे किसानों और आम जनता की स्थिति दयनीय होती जा रही है। इस संकट के पीछे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में हुई लापरवाही एक प्रमुख कारण के रूप में उभर कर सामने आई है।
लगभग सभी जिले जल संकट से जूझ रहे
जहां बस्तर संभाग के लगभग सभी जिलों में अनेक गांवों के लोग आज़ादी के आठवें दशक में भी झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं, वहां सुशासन और समाधान शिविर में कार्यवाही को लेकर कसावट और प्रशासनिक प्रतिबद्धता की कमी को नकारा नहीं जा सकता।
बालोद जिले के गुंडरदेही और गुरुर ब्लॉक को 'क्रिटिकल जोन' में रखा गया है। धान की पारंपरिक खेती के कारण भूजल स्तर में गिरावट आई है, जिससे नलकूप और कुएं सूखने लगे हैं। प्रशासन ने 'जल जतन अभियान' की शुरुआत की है, जिसमें वर्षा जल संचयन और कम पानी में उगने वाली फसलों को बढ़ावा देने जैसे उपाय किए जा रहे हैं।
राजनांदगांव जिले के राजनांदगांव, डोंगरगढ़ और डोंगरगांव ब्लॉक 'सेमी क्रिटिकल जोन' में आ गए हैं। भूजल स्तर लगभग 350 फीट नीचे चला गया है, जिससे लगभग 200 हैंडपंप सूख चुके हैं। कलेक्टर ने बिना अनुमति नए नलकूपों की खुदाई पर रोक लगा दी है।
मनेंद्रगढ़ जिला में 115 करोड़ रुपये की केवई-हसदेव नदी जोड़ो परियोजना तकनीकी खामियों के कारण रोक दी गई है। इस परियोजना के अधर में लटकने से मनेंद्रगढ़ सहित चार नगर पंचायतों को जल संकट से निजात नहीं मिल पा रही है।
मलनिया बांध से जुड़ी नहरों की स्थिति खराब होने से गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला भी जल संकट से त्रस्त है। किसानों का आरोप है कि नहरों का निर्माण केवल कागजों में हुआ है, जिससे खेतों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो रही हैं। शिकायतों के बावजूद विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
सरकारी योजनाओं में लापरवाही
'जल जीवन मिशन' योजना, जिसका उद्देश्य हर घर को नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाना है, में लापरवाही के चलते छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 एक्जीक्यूटिव इंजीनियरों को निलंबित भी किया है और 4 को नोटिस जारी किया है बावजूद इसके, स्थिति में कोई खास सुधार होता नहीं दिखता। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि भविष्य में भी लापरवाही बरतने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
किसानों की दयनीय स्थिति
जल संकट के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। राजनांदगांव जिले में पिछले रबी मौसम में धान की फसल के लिए 42 हजार सिंचाई पंपों का उपयोग हुआ, जिससे भूजल स्तर नीचे चला गया। कलेक्टर ने किसानों से कम पानी उपयोग वाली फसलों की खेती करने का आग्रह किया है।
धमतरी जिले के परसतराई गांव में ग्रामीणों ने जल संरक्षण के लिए सोख्ता पीट और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कराया है। फसल चक्र परिवर्तन अपनाकर कम पानी में उगने वाली फसलों की खेती शुरू की गई है, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
छत्तीसगढ़ में जल संकट की स्थिति गंभीर है, जिसका मुख्य कारण सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और भी विकराल रूप ले सकता है। सरकार को चाहिए कि जल जीवन मिशन और जल संरक्षण योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करे और किसानों को कम पानी में उगने वाली फसलों की ओर प्रोत्साहित करे। साथ ही, आम जनता को भी जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाना आवश्यक है।
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