प्री-मानसून की बारिश और आंधी से मक्का फसल तबाह, किसानों को भारी आर्थिक क्षति कोंडागांव, छत्तीसगढ़ : बस्तर अंचल के कोंडागांव जिले में समय ...
प्री-मानसून की बारिश और आंधी से मक्का फसल तबाह, किसानों को भारी आर्थिक क्षति
कोंडागांव, छत्तीसगढ़ : बस्तर अंचल के कोंडागांव जिले में समय से पहले आई प्री-मानसून की बारिश और तेज़ आंधी ने किसानों के सपनों पर पानी फेर दिया। खेतों में लहलहाती मक्का की फसल या तो तेज़ बहाव में बह गई या झुक कर जमीन से जा लगी। खलिहानों में रखी मक्का की ढेरियां भी इस अनहोनी से नहीं बच सकीं, जो अब पानी से भीगकर सड़ने की कगार पर हैं।
🌧️ कहर का ताज़ा मंजर:प्राकृतिक:
बारिश इतनी तेज थी कि खेतों में पानी भर गया और बहाव में फसल की जड़ें तक उखड़ गईं। वहीं, आंधी के थपेड़ों ने फसलों को सीधे ज़मीन से मिला दिया। जो मक्का खेत से काटकर खलिहानों में रखी गई थी, वह भी भीगकर अनुपयोगी हो गई है।
💸 80 हज़ार प्रति एकड़ का नुकसान:
कृषि विशेषज्ञों और स्थानीय किसानों के अनुसार, औसतन एक एकड़ में करीब 80,000 रुपये तक की लागत आई थी। अब पूरी फसल के बर्बाद होने से किसानों के सामने रोज़गार और परिवार चलाने की चुनौती खड़ी हो गई है।
📋 प्रशासन कर रहा सर्वे:
जिला प्रशासन ने नुकसान का जायज़ा लेने के लिए सर्वेक्षण दल तैनात किए हैं। राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों से मिल रहे हैं और नुकसानी का ब्योरा तैयार कर रहे हैं।
🗣️ किसानों की पुकार:
एक स्थानीय किसान लखन नेताम ने कहा, "पूरे साल की मेहनत एक ही रात में खत्म हो गई। अगर सरकार मदद नहीं करती तो हमारे पास खेत गिरवी रखने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।"
📢 प्रशासन की ओर से आश्वासन:
SDM ने बताया कि सर्वे जल्द पूरा कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी, ताकि राहत राशि वितरित की जा सके। साथ ही प्राकृतिक आपदा राहत कोष से त्वरित सहायता देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
🖋️ संपादकीय टिप्पणी:
यह आपदा सिर्फ मौसम की नहीं, बल्कि नीति निर्धारण की भी परीक्षा है। यदि बीमा योजनाओं और पूर्व चेतावनी प्रणाली को मज़बूत किया जाए, तो किसानों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है।
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