जगदलपुर : बस्तर संभाग के सबसे प्राचीन जैन मंदिर जो कि जगदलपुर स्थित धर्मनाथ जिनालाय नाम से प्रसिद्ध है, अपने 50 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। इ...
जगदलपुर : बस्तर संभाग के सबसे प्राचीन जैन मंदिर जो कि जगदलपुर स्थित धर्मनाथ जिनालाय नाम से प्रसिद्ध है, अपने 50 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है। इस अवसर को यादगार बनाने पूरा जैन समाज विभिन्न धार्मिक आयोजनों से जुड़ रहा है।
इस अवसर को निश्रा प्रदान करने उपाध्याय प्रवर श्री महेन्द्र सागर जी म.सा. के शिष्यरत्न श्री विवेक सागर जी म.सा. आदि ठाणा 4 दिनांक 19 मई को जगदलपुर पधार चुके हैँ। गुरु भगवंतों की निश्रा में 20 से 24 मई तक सभी आयु वर्ग के लिये तीन सत्रों में शिविरों का भी सफल आयोजन हुआ जिसमें पारिवारिक व धार्मिक दायित्वों का निर्वहन कैसे हो, इस विषय पर प्रकाश डाला।
स्वर्ण जयंती समारोह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिये भगवान धर्मनाथ की नगरी “रत्नपुरी नगरी” का रचना की गई है जिसका उद्घाटन 24 मई की अपरान्ह म.सा. की उपस्थिति में हुआ। भव्य पंडाल में तीर्थंकरों की 30 मूर्तियों के प्रवेश पश्चात् आरती की गई।
रात्रि 8 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रँखला में प्रथम दिवस स्थानीय मंडलों की प्रस्तुति हुई।
25 मई से पंचान्हिका महोत्सव प्रारम्भ होगा जिसमें 25 को श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजा, 26 को दादा गुरुदेव की बड़ी पूजा, 27 को अठारह अभिषेक पूजा, 28 को भव्य शोभायात्रा व 29 को सत्तरभेदी पूजा के साथ जिनालाय में नई ध्वजा चढ़ाई जायेगी। इसी दिन संध्या में कुमारपाल महाराजा की भव्य आरती होगी।
संस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रँखला में 25 को “संस्मरण” जिसमें श्री धर्मनाथ जिनालाय व जैन समाज की 50 वर्षों की इतिहास की जानकारी दी जायेगी। 26 दादागुरुदेव की जीवनी पर आधारित नाटिका “अमावस को चांद उगायो” की नाट्य प्रस्तुति होगी। 27 को अंतर्राष्ट्रीय वक्ता सुरेश भाई, चेन्नई के द्वारा “एक शाम जिन शासन के नाम” पर उद्बोधन होगा। 28 को प्रसिद्ध भजन गायक श्री पारस भाई गड़ा भजनों की प्रस्तुति देंगे। 29 को भगवान धर्मनाथ की जीवनी पर आधारित नाटिका की प्रस्तुति होगी।
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