मेकाहारा में मच गया कोहराम – बाउंसरों की गुंडागर्दी पर पत्रकारों का हल्लाबोल, पुलिस ने निकाला आरोपियों का जुलूस: रायपुर : राजधानी के प्रत...
मेकाहारा में मच गया कोहराम – बाउंसरों की गुंडागर्दी पर पत्रकारों का हल्लाबोल, पुलिस ने निकाला आरोपियों का जुलूस:
रायपुर : राजधानी के प्रतिष्ठित डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल (मेकाहारा) में उस समय हंगामा मच गया जब पत्रकारों के साथ बाउंसरों ने सरेआम मारपीट की। मीडिया की आवाज़ को दबाने की यह नाकाम कोशिश जैसे ही सामने आई, पूरा पत्रकार समुदाय आक्रोशित हो उठा। इस गंभीर घटना के बाद रायपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को हिरासत में लिया और जयस्तंभ चौक से जुलूस निकालकर उन्हें शहरवासियों के सामने लज्जित किया।
सूत्रों के अनुसार, विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब अस्पताल में सुरक्षा की ज़िम्मेदारी संभाल रही एजेंसी के संचालक वसीम पिस्तौल लहराते हुए अस्पताल परिसर में दाखिल हुआ। वसीम अपने तीन निजी बाउंसरों के साथ पत्रकारों को धमकाने लगा। हद तो तब हो गई जब महिला सुरक्षाकर्मियों को अस्पताल के गेट से हटाकर पत्रकारों को बर्बरता से धकेला गया — और यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ।
पत्रकारों ने तुरंत विरोध स्वरूप अस्पताल के बाहर प्रदर्शन शुरू किया, परंतु तीन घंटे तक प्रशासन की चुप्पी से नाराज होकर सभी पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया। वहां पर रायपुर के SSP डॉ. लाल उम्मेद सिंह और अस्पताल के अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर ने मोर्चा संभाला। अधीक्षक ने पत्रकारों से क्षमा याचना की और सुरक्षा सेवा देने वाली ‘कॉल मी सर्विस’ का टेंडर निरस्त करने की अनुशंसा का वादा किया।
इस बीच, रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर से स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने फोन पर बात की और सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए कहा, “जो पत्रकारों को धमकाते हैं, उन्हें इस धरती पर नामोनिशान नहीं रहने देंगे।” मंत्री के इस आश्वासन के बाद देर रात धरना प्रदर्शन को स्थगित किया गया।
यह सिर्फ एक हमला नहीं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आघात था – परंतु लोकतंत्र की ताक़त ने अन्याय को झुकने पर मजबूर कर दिया।
कोई टिप्पणी नहीं