महुआ से परेशान ग्रामीण बोले - ‘सरकारी दुकान हो, सेहत सुधरे’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) : सुशासन तिहार में जहां लोग सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य सुव...
महुआ से परेशान ग्रामीण बोले - ‘सरकारी दुकान हो, सेहत सुधरे’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) : सुशासन तिहार में जहां लोग सड़क, स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, वहीं तखतपुर के कोड़ापुरी गांव में कुछ हटकर फरियाद सामने आई। गांववालों ने क्षेत्रीय विधायक धर्मजीत सिंह से साफ शब्दों में कहा — "हमारे गांव में सरकारी शराब दुकान खोलिए!"
यह मांग सुनते ही कार्यक्रम में एक पल को सन्नाटा छा गया। मगर ग्रामीणों के पास अपनी बात के पीछे ठोस तर्क भी थे। उन्होंने बताया कि महुए की देसी शराब पीने से लोगों की सेहत बिगड़ रही है, जबकि सरकारी दुकान की शराब अपेक्षाकृत नियंत्रित और कम हानिकारक होती है।
विधायक धर्मजीत सिंह खुद भी इस मांग को सुनकर चौंक गए। मगर उन्होंने गंभीरता से जवाब देते हुए कहा, "अगर यह आपकी सामूहिक मांग है और स्वास्थ्य की दृष्टि से वाजिब लगती है, तो हम ज़रूर विचार करेंगे।"
गांववालों ने रखी ये दलीलें:
महुआ शराब में मिलावट अधिक, जानलेवा बन रही
सरकारी शराब में कम हानि, कीमत भी तय
अवैध शराब बिक्री से जुड़ी सामाजिक समस्याएं भी खत्म होंगी
सुशासन तिहार में यह मांग चर्चा का विषय बन गई है। कुछ लोगों ने जहां इसका विरोध किया, वहीं कई लोगों ने इसे एक व्यावहारिक सोच बताकर समर्थन भी दिया।
यह घटना एक सवाल खड़ा करती है — क्या शासन की 'नशा मुक्ति नीति' और ग्रामीणों की 'वास्तविकता' के बीच सामंजस्य संभव है?
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