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सिंदूर पर सियासत: मोदी के बयान पर चरणदास महंत का तंज – ‘अगर रगों में बह रहा सिंदूर, तो माथे पर क्यों नहीं लगाते मंत्री?’

  सिंदूर पर सियासत: मोदी के बयान पर चरणदास महंत का तंज – ‘अगर रगों में बह रहा सिंदूर, तो माथे पर क्यों नहीं लगाते मंत्री?’ रायपुर :  प्रधानम...

 सिंदूर पर सियासत: मोदी के बयान पर चरणदास महंत का तंज – ‘अगर रगों में बह रहा सिंदूर, तो माथे पर क्यों नहीं लगाते मंत्री?’

रायपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया जोशीले बयान—"मेरी रगों में गर्म सिंदूर बह रहा है"—ने देशभर में चर्चा छेड़ दी है। इस बयान को जहां समर्थक देशभक्ति और भावना से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं विपक्ष ने इसे निशाने पर ले लिया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा परिसर में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस बयान को हास्यास्पद बताते हुए तंज कसा। उन्होंने कहा, "अगर प्रधानमंत्री की रगों में वाकई सिंदूर बह रहा है, तो उनके मंत्री उसे माथे पर क्यों नहीं लगाते? क्या यह सिर्फ भाषणों की गर्मी है, या कोई गूढ़ राजनीतिक संदेश?"

महंत ने आगे कहा कि देश की जनता अब भाषणों से नहीं, कार्यों से बदलाव चाहती है। उन्होंने प्रधानमंत्री के इस बयान को 'नाटकीय' और 'जनता की भावनाओं से खेलने वाला' करार दिया।


राजनीति में भावनाओं का बढ़ता प्रयोग:

प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में भावनात्मक और प्रतीकात्मक भाषा का उपयोग नया नहीं है। लेकिन इस बार सिंदूर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक का उल्लेख राजनीतिक प्रतिक्रिया का कारण बन गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी मौसम में इस प्रकार के बयान मतदाताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ने की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। वहीं, विपक्ष इसे जनता का ध्यान मूल मुद्दों से भटकाने की कोशिश बता रहा है।


अब आगे क्या?

मोदी के बयान और चरणदास महंत की प्रतिक्रिया के बाद सियासी गलियारों में गर्माहट बढ़ गई है। आने वाले दिनों में यह बयान और उस पर उठे सवाल राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बन सकते हैं।

सिंदूर अब राजनीति का रंग बन गया है — देखना यह है कि जनता इसे भावना से जोड़ती है या फिर चुनावी रंग से।


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