नक्सलियों की मारी गोली आज भी मेरे शरीर में है” – चश्मदीद शिव ठाकुर की रूह कंपा देने वाली गवाही रायपुर : 25 मई 2013, छत्तीसगढ़ की झीरम घाट...
नक्सलियों की मारी गोली आज भी मेरे शरीर में है” – चश्मदीद शिव ठाकुर की रूह कंपा देने वाली गवाही
रायपुर : 25 मई 2013, छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं का काफिला नक्सलियों के खूनी इरादों की भेंट चढ़ गया। बरसती गोलियों और दहशत के उस मंजर को भुला पाना आज भी नामुमकिन है।
उस नरसंहार के चश्मदीद और कांग्रेस नेता शिव ठाकुर, आज भी उस दिन की याद में कांप उठते हैं। “जो गोली उस दिन मेरे शरीर में घुसी थी, वो आज भी वहीं है...,” कहते हैं ठाकुर, जिनका दर्द वक़्त भी कम नहीं कर सका।
शिव ठाकुर बताते हैं, "नक्सली पहाड़ियों से उतरकर काफिले पर बरस पड़े थे। वो कोई आम हमला नहीं था, वो टारगेटेड किलिंग थी।"
उनका दावा है कि वॉकी-टॉकी पर माओवादियों के कमांडर निर्देश दे रहे थे कि किसे पहले मारना है।
“मैंने साफ सुना – ‘महेंद्र कर्मा को पहले उड़ाओ...’ और फिर गोलियों की बौछार शुरू हो गई।”
झीरम घाटी कांड में 28 से ज़्यादा लोग मारे गए, जिनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा, प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और विद्यासागर सहित कई नेता शामिल थे।
शिव ठाकुर को भी एक गोली लगी, जो डॉक्टरों की सलाह के बावजूद आज तक उनके शरीर से नहीं निकाली जा सकी।
वे कहते हैं, “वो गोली अब मेरा हिस्सा बन गई है, लेकिन हर साल 25 मई को वो दर्द फिर से ताज़ा हो जाता है।”
आज 12 साल बाद भी न्याय की उम्मीद अधूरी है, और झीरम जैसी त्रासदियों की यादें सियासत के गलियारों में गूंज बनकर रह जाती हैं।
कोई टिप्पणी नहीं