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छत्तीसगढ़ में पेयजल संकट और सरकारी प्रयास: एक विश्लेषण

छत्तीसगढ़ , प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य होते हुए भी आज कई क्षेत्रों में पेयजल संकट से जूझ रहा है। विशेषकर गर्मी के महीनों में अनेक...

छत्तीसगढ़, प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य होते हुए भी आज कई क्षेत्रों में पेयजल संकट से जूझ रहा है। विशेषकर गर्मी के महीनों में अनेक जिलों और ब्लॉकों में जल की भारी किल्लत देखी जाती है। यह लेख छत्तीसगढ़ में पेयजल की वर्तमान स्थिति, सरकारी योजनाओं की प्रगति, व्यय, भ्रष्टाचार के आरोप, और विशिष्ट क्षेत्र जैसे बस्तर संभाग की गहन पड़ताल प्रस्तुत करता है।


जल स्रोत एवं जल पूर्ति क्षेत्र:
छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ, इन्द्रावती, अरपा, हसदेव आदि प्रमुख नदियाँ हैं, जो जल आपूर्ति के मुख्य स्रोत हैं। इसके अतिरिक्त, तालाब, कुएं और नलकूपों पर ग्रामीण क्षेत्रों की निर्भरता अधिक है। परंतु जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित भूजल दोहन, जलसंसाधन प्रबंधन की चूक, और वर्षा में गिरावट के चलते जल स्रोतों की क्षमता घट रही है।


जल जीवन मिशन (JJM) की प्रगति (विभाग द्वारा प्रकाशित)   :



जल जीवन मिशन के तहत छत्तीसगढ़ में कुल 40,46,521  परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) दिए गए। हालाँकि इस आंकड़े का भौतिक सत्यापन करने पर ज़मीन-आसमान का अंतर नज़र आता है ।


व्यय का तुलनात्मक अध्ययन (2025 -26):

विवरण

राशि (करोड़ रुपये में)

केंद्रीय अंश

2,638.91


राज्य अंश

2,627.12

 उपलब्ध डाटा के अनुसार छत्तीसगढ़ ने उपलब्ध निधि में से व्यय, राष्ट्रीय औसत से कम किया है ।

कुछ महत्वपूर्ण सरकारी आंकड़े जो वास्तविकता से कोसों दूर हैं:              

  • फरवरी 2025 तक, छत्तीसगढ़ में  2,857 गांवों को 'हर घर जल' प्रमाणित किया गया है, जिसका अर्थ है कि इन गांवों के सभी घरों में नल के पानी का कनेक्शन उपलब्ध है।
  • राज्य में 32,092 जल स्रोतों की पहचान और विकास किया गया है।
  • 8,732 ओवरहेड टैंक (OHT) बनाए गए हैं।
  • 13,721 सौर पंप स्थापित किए गए हैं और 3,959 और स्थापित करने की योजना है।
  • 03 मई 2025 तक, राज्य में 40,46,520 से अधिक ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं, जबकि लक्ष्य 50 लाख 05 हजार 147 परिवारों को कनेक्शन प्रदान करना है।
  • महासमुंद जिले में सबसे अधिक 1 लाख 96 हजार 667 ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन दिए गए हैं।

सरकार का लक्ष्य स्कूलों, उप-स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनवाड़ी केंद्रों में भी नल से पानी की व्यवस्था करना है।


 जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोप:
राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यों में पारदर्शिता की कमी को लेकर कई बार मीडिया में सवाल उठते रहे हैं। पाइपलाइन बिछाने में घटिया सामग्री, बिना कनेक्शन के दिखाए गए आंकड़े, और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें समाचार माध्यमों में प्रकाशित हुई हैं।


जलाभाव ग्रस्त क्षेत्र (2025):

दुर्ग जिला:

  • 4 अप्रैल 2025 को पूरे दुर्ग जिले को जलाभाव ग्रस्त घोषित किया गया।
  • 30 जून या मानसून आने तक नलकूप खनन पर प्रतिबंध लागू किया गया।

 

बिलासपुर जिला:

  • 07 अप्रैल 2025 को बिलासपुर जिले को जलाभाव ग्रस्त जिला घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही नए बोर वेल खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है

 

अन्य संवेदनशील ब्लॉक:
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार बसना, बरमकेला, धरसीवा, डोंगरगढ़, खैरागढ़ आदि क्षेत्रों को "क्रिटिकल" श्रेणी में रखा गया है।

बस्तर संभाग में भी कई जनपद जलाभाव से जूझ रहे हैं, इन्द्रावती के सूखने से मचा हाहाकार और बेबस ग्रामीणों के अनेक विडियो youtube पर देखे जा सकते हैं ।                                


महत्वपूर्ण घोषणाएँ:

  • जल जीवन मिशन पर मुख्यमंत्री की घोषणा (जनवरी 2024): “हर घर जल हमारा लक्ष्य है, और इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
  • जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार: अप्रैल 2025 तक 90% ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है।

निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में पेयजल संकट अत्यंत गंभीर मुद्दा होने के बावजूद शासन और प्रशासन द्वारा वास्तविकता में उपेक्षित किन्तु कागजों में समाधान किया जा चुका विषय है, विशेषकर बस्तर एवं उत्तर-पूर्वी जिलों में। सरकार की योजनाओं में गति तो आई है, परंतु कई क्षेत्रों में प्रगति असमान और धीमी रही है। साथ ही वित्तीय व्यय की गति और पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न बने हुए हैं विशेष रूप से भ्रष्टाचार के दीमक ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है । आवश्यक है कि जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण को प्राथमिकता दी जाए, भ्रष्टाचार पर सख्त कार्यवाही करते हुए अपूर्ण कार्य जल्द से जल्द पूरे किये जाएं ताकि जल संकट का स्थायी समाधान सुनिश्चित हो सके।

 

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