बस्तर विश्वविद्यालय भर्ती में भारी अनियमितता! 59 शैक्षणिक पदों की प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल: जगदलपुर : बस्तर का प्रतिष्ठित शहीद महेंद्र...
बस्तर विश्वविद्यालय भर्ती में भारी अनियमितता! 59 शैक्षणिक पदों की प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल:
जगदलपुर : बस्तर का प्रतिष्ठित शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय एक बार फिर से विवादों के घेरे में है। 2023 में 59 शैक्षणिक पदों पर भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन और उसके बाद हुई चयन प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियों के आरोप लग रहे हैं। आरोपों के केंद्र में है आयु सीमा में अस्पष्टता, अयोग्य विशेषज्ञों की मौजूदगी और परिणामों की गोपनीयता, जिसने इस भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आयु सीमा बनी चयन में सबसे बड़ी बाधा:
विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए विज्ञापन में स्पष्ट रूप से राज्य के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु 40 वर्ष और बाहरी राज्यों के लिए 35 वर्ष निर्धारित की गई थी। लेकिन बाद में यूजीसी के नियमों का हवाला देकर इस आयु सीमा को नकारते हुए उम्रदराज अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार किए गए। इससे उन उम्मीदवारों को भारी नुकसान हुआ, जो निर्धारित उम्रसीमा पार होने के कारण पहले ही आवेदन नहीं कर सके थे।
बिना विशेषज्ञों के हुआ इंटरव्यू, उठे सवाल:
भर्ती प्रक्रिया के इंटरव्यू चरण में और भी गंभीर गड़बड़ी सामने आई है। आवेदकों का आरोप है कि जिन लोगों को इंटरव्यू पैनल में विषय विशेषज्ञ के रूप में शामिल किया गया, वे संबंधित विषय की योग्यता या विशेषज्ञता ही नहीं रखते थे। यह यूजीसी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है और इससे संपूर्ण चयन प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
जल्दबाजी में जारी किए नियुक्ति पत्र:
अभी तक की जानकारी के अनुसार कई पदों पर जल्दबाजी में नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए। खास बात यह है कि इन नियुक्तियों की जानकारी न तो विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की गई और न ही कोई पारदर्शी सार्वजनिक सूचना दी गई। इस प्रकार की गोपनीयता को लेकर अब कई अभ्यर्थी खुलकर विश्वविद्यालय प्रशासन की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं।
विश्वविद्यालय की पूर्ववृत्तियों पर भी उठ चुके हैं सवाल:
गौरतलब है कि इससे पहले भी बस्तर विश्वविद्यालय की विभिन्न भर्ती प्रक्रियाओं में गड़बड़ियों के चलते भर्तियां निरस्त की जा चुकी हैं। यह नया मामला उसी श्रंखला की अगली कड़ी प्रतीत होता है, जिसमें एक के बाद एक प्रक्रियागत लापरवाहियां सामने आती जा रही हैं।
क्या कहता है यूजीसी नियम?
यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के दिशानिर्देशों में शैक्षणिक पदों पर अधिकतम आयु सीमा अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि विश्वविद्यालय खुद कोई आयु सीमा निर्धारित करता है, तो उसका स्पष्ट उल्लेख विज्ञापन में होना चाहिए और बाद में उसमें मनमानी ढील नहीं दी जा सकती।
निष्पक्ष जांच की मांग:
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अभ्यर्थियों और शिक्षाविदों द्वारा यह मांग की जा रही है कि इस संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। यदि गड़बड़ियों की पुष्टि होती है, तो विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताएं रोकी जा सकें।
📢 निष्कर्ष:
बस्तर विश्वविद्यालय की इस भर्ती प्रक्रिया में जिस प्रकार से नियमों को दरकिनार किया गया है, वह उच्च शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। जब तक जवाबदेही तय नहीं की जाती, तब तक योग्य अभ्यर्थियों के साथ यह अन्याय बना रहेगा।
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