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खैरागढ़ में ईको-पर्यटन घोटाला उजागर: छींदारी डैम में अधूरा कार्य, फिर भी पूरा भुगतान; गुणवत्ता पर उठे सवाल

  खैरागढ़ में ईको-पर्यटन घोटाला उजागर: छींदारी डैम में अधूरा कार्य, फिर भी पूरा भुगतान; गुणवत्ता पर उठे सवाल खैरागढ़, छत्तीसगढ़: ईको-पर्यटन...

 

खैरागढ़ में ईको-पर्यटन घोटाला उजागर: छींदारी डैम में अधूरा कार्य, फिर भी पूरा भुगतान; गुणवत्ता पर उठे सवाल

खैरागढ़, छत्तीसगढ़: ईको-पर्यटन विकास के नाम पर छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ क्षेत्र में वन विभाग की गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। छींदारी गांव में स्थित रानी रश्मि देवी सिंह जलाशय (छींदारी डैम) में अधूरे निर्माण कार्य का पूरा भुगतान कर दिया गया, जबकि स्थल पर घटिया निर्माण सामग्री और अपूर्ण कार्यों की भरमार देखने को मिली।

इस भ्रष्टाचार का खुलासा विधायक यशोदा नीलांबर वर्मा के नेतृत्व में चल रहे 'मिशन संडे' अभियान के तहत हुआ, जब निरीक्षण दल ने जलाशय क्षेत्र का दौरा किया। निरीक्षण के दौरान यह साफ़ हुआ कि परियोजना के कई हिस्से जैसे पर्यटक पथ, विश्राम शेड, और सुरक्षा दीवारें अभी अधूरी हैं। बावजूद इसके ठेकेदार को शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया गया है।


विधायक वर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

> "यह केवल ईको-पर्यटन का मज़ाक नहीं, बल्कि जनता के पैसों के साथ विश्वासघात है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"

स्थानीय ग्रामीणों ने भी जताई नाराज़गी, उनका कहना है कि न तो उन्हें रोजगार मिला, न ही पर्यावरण संरक्षण के कोई उपाय हुए। पर्यावरणविदों ने घटिया निर्माण से जलाशय की पारिस्थितिकी पर भी खतरा बताया है।


जांच की मांग:

अब मांग उठ रही है कि वित्तीय लेखा-परीक्षा कराई जाए, और ठेकेदार तथा विभागीय अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।


निष्कर्ष:

ईको-पर्यटन की आड़ में इस तरह का घोटाला न केवल पर्यावरणीय न्याय का हनन है, बल्कि क्षेत्रीय विकास पर भी गहरा सवाल खड़ा करता है। जनता को सच जानने और न्याय मिलने की आवश्यकता है।



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