' बोरे-बासी दिवस' मनाकर कांग्रेस ने मजदूरों को दिया सम्मान, लेकिन इस बार फीका रहा उत्सव: रायपुर: 1 मई को मजदूर दिवस के मौके पर छत्त...
'बोरे-बासी दिवस' मनाकर कांग्रेस ने मजदूरों को दिया सम्मान, लेकिन इस बार फीका रहा उत्सव:
रायपुर: 1 मई को मजदूर दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने 'बोरे-बासी दिवस' मनाया। ये परंपरा भूपेश बघेल की सरकार में शुरू हुई थी, जब पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक व्यापक अभियान चलाया था। नेताओं, कार्यकर्ताओं से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों—यहां तक कि कई IAS-IPS अफसरों ने भी बोरे-बासी खाते हुए अपनी तस्वीरें पोस्ट की थीं।
'बोरे-बासी' छत्तीसगढ़ का पारंपरिक खाना है, जो मेहनतकश लोगों की थाली में रोज शामिल रहता है। इसे प्रतीक बनाकर कांग्रेस ने मजदूरों के सम्मान और स्थानीय संस्कृति को एक मंच देने की कोशिश की थी।
हालांकि इस साल न तो वह जोश दिखा, न ही सोशल मीडिया पर पहले जैसा उत्साह नजर आया। न तो बड़े नेताओं की तस्वीरें आईं, न ही किसी अभियान की झलक दिखी। पार्टी ने जरूर बोरे-बासी दिवस की बात की, पर आयोजन औपचारिकता भर रह गया।
सवाल ये है कि क्या अब ये परंपरा धीरे-धीरे रस्म बनती जा रही है, या इसका राजनीतिक महत्व कम हो गया है?
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