सेना की सख्ती, सेवा का जज्बा: रिटायर्ड फौजी कांकेर में गढ़ रहे देश के भविष्य" कांकेर, छत्तीसगढ़: नरहरदेव मैदान की सुबह अब सिर्फ ओस की...
सेना की सख्ती, सेवा का जज्बा: रिटायर्ड फौजी कांकेर में गढ़ रहे देश के भविष्य"
कांकेर, छत्तीसगढ़: नरहरदेव मैदान की सुबह अब सिर्फ ओस की ठंडक और पक्षियों की चहचहाहट से नहीं, बल्कि दमदार पुकार, अनुशासित कदमों और फौलादी इरादों से भी गूंजती है। दो साल से, सेवानिवृत्त सैनिक यहां युवाओं को आर्मी जैसी ट्रेनिंग निशुल्क दे रहे हैं—देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर।
सुबह 5:45 बजे मैदान में उपस्थिति अनिवार्य है। देर से आने वाले युवाओं को कोई हल्की सजा नहीं मिलती—उन्हें अपनी पीठ पर ट्रैक्टर का टायर उठाकर पुशअप्स करने पड़ते हैं। यह सिर्फ एक सजा नहीं, बल्कि अनुशासन और आत्मबल की परीक्षा है।
इस शिविर में फिजिकल फिटनेस, मार्चिंग, समय की पाबंदी और आत्मनिर्भरता जैसे मूलभूत सैन्य गुणों को प्राथमिकता दी जाती है। प्रशिक्षण का उद्देश्य युवाओं को सेना, पुलिस, या किसी भी सुरक्षा बल की भर्ती के लिए तैयार करना है।
पूर्व सैनिकों का कहना है कि "हमने देश की सेवा की है, अब देश के भविष्य को मजबूत करने का समय है। हमारे जवानों में अनुशासन होगा तो देश अपने आप सशक्त होगा।"
यह प्रशिक्षण न केवल युवाओं के शरीर को, बल्कि मनोबल और सोच को भी गढ़ता है—एक बेहतर भारत के निर्माण के लिए।
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