नक्सलवाद पर करारा प्रहार: बस्तर में फोर्स की 'घुसकर मारो' रणनीति, IG बोले- 'अब बस्तर नहीं, नक्सलियों का गढ़ दरक रहा है' राय...
नक्सलवाद पर करारा प्रहार: बस्तर में फोर्स की 'घुसकर मारो' रणनीति, IG बोले- 'अब बस्तर नहीं, नक्सलियों का गढ़ दरक रहा है'
रायपुर/बस्तर: छत्तीसगढ़ के बीहड़ जंगलों में नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभूतपूर्व अभियान जारी है। एक समय था जब बस्तर क्षेत्र शहादत, खूनखराबा और भय के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह इलाका बहादुर जवानों की वीरता और निर्णायक कार्रवाइयों के लिए चर्चित हो रहा है।
IG (इंस्पेक्टर जनरल) ने दिया बयान:
"फोर्स अब नक्सलियों को घुसकर मार रही है। अब डर हमारी तरफ नहीं, उनकी तरफ है।"
IG ने बताया कि बस्तर के जंगली और पहाड़ी इलाकों में अभी भी करीब 2,000 नक्सली सक्रिय हैं, लेकिन 53,000 से अधिक सुरक्षाबलों की मौजूदगी ने उन्हें रणनीतिक तौर पर कमजोर कर दिया है।
इतिहास में पहली बार:
इतिहास गवाह है—पहली बार ऐसा हो रहा है जब एक ही महीने में दर्जनों की संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं।
🔹 कभी 20, तो कभी 35 तक नक्सलियों के शव जंगलों से बरामद हो रहे हैं।
🔹 यह केवल आंकड़ा नहीं, यह उस रणनीति की गूंज है जिसमें अब सुरक्षाबल रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक और योजनाबद्ध ऑपरेशन चला रहे हैं।
बदल रहा है बस्तर का चेहरा:
एक समय था जब नक्सली घटनाएं बस्तर को लहूलुहान करती थीं। अब हालात उलट गए हैं—
📌 गांवों में विकास की किरण पहुंच रही है।
📌 सड़कें, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र जैसे बुनियादी ढांचे को मजबूती मिल रही है।
📌 लोग अब डर नहीं, उम्मीद से जी रहे हैं।
मांओवाद के खिलाफ 'मिशन क्लीन':
IG के अनुसार, सुरक्षाबलों ने पिछले 6 महीनों में कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं। जंगलों में गश्त, खुफिया जानकारी पर आधारित कार्रवाई और ग्रामीणों के सहयोग से अब नक्सलियों की पकड़ कमजोर पड़ रही है।
अब अगला लक्ष्य: पुनर्वास और शांति:
सरकार और प्रशासन की मंशा अब केवल नक्सलियों को खत्म करना नहीं, बल्कि इलाके में स्थायी शांति और पुनर्निर्माण स्थापित करना है।
> "बस्तर को अब नक्सलियों के नहीं, बच्चों की मुस्कानों से पहचाना जाएगा।"
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