शांति वार्ता की पेशकश, लेकिन पुरानी शर्तों पर अड़े नक्सली: रायपुर : देश में नक्सल उग्रवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई का असर सा...
शांति वार्ता की पेशकश, लेकिन पुरानी शर्तों पर अड़े नक्सली:
रायपुर : देश में नक्सल उग्रवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई का असर साफ दिखने लगा है। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी ने खुद स्वीकार किया है कि बीते 15 महीनों में उनके 400 से अधिक साथी मारे गए हैं। इस बढ़ते दबाव के बीच नक्सलियों ने एक बार फिर शांति वार्ता की पेशकश की है, लेकिन वे अपनी पुरानी शर्तों से टस से मस नहीं हो रहे, जिनकी वजह से अब तक कोई बातचीत संभव नहीं हो सकी है।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बैकफुट पर नक्सली:
सूत्रों के मुताबिक, सुरक्षा बलों की लगातार चल रही रणनीतिक कार्रवाइयों से नक्सली संगठनों में भारी नुकसान हुआ है। कई बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं, और उनके ठिकाने उजाड़े जा चुके हैं। इससे नक्सली संगठनों के भीतर दहशत का माहौल है।
शांति वार्ता की पेशकश, लेकिन वही पुरानी मांगें:
नक्सल सेंट्रल कमेटी ने सरकार से बातचीत के लिए पहल करने को कहा है, लेकिन उनकी शर्तें वही पुरानी हैं—सुरक्षा बलों की कार्रवाई रोकी जाए, गिरफ्तार नक्सलियों को रिहा किया जाए और उनके इलाकों से फोर्स हटाई जाए। ये शर्तें सरकार के लिए स्वीकार्य नहीं रही हैं, इसलिए अब तक वार्ता आगे नहीं बढ़ सकी है।
क्या सरकार बदलेगी रणनीति?
विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सली अब खुद को बचाने के लिए वार्ता का सहारा ले रहे हैं, लेकिन जब तक वे लचीलापन नहीं दिखाते, तब तक कोई ठोस नतीजा निकलना मुश्किल है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पहले भी स्पष्ट कर चुकी हैं कि कोई भी वार्ता संविधान के दायरे में होगी और हिंसा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या नक्सली अपनी रणनीति बदलेंगे, या सुरक्षा बलों का दबाव उन्हें पूरी तरह खत्म कर देगा? आने वाले दिनों में इस पर स्थिति और साफ होगी।
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