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छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य कर्मचारी संघ चुनाव: निलंबन, विरोध और अनिश्चितता के बीच अध्यक्ष पद पर टकराव - 5 बिंदुओं में सारगर्भित विश्लेषण

1. ऐतिहासिक चुनाव:  पहली बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष पद का चयन। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ प्रदे...

1. ऐतिहासिक चुनाव: 
पहली बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष पद का चयन।

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ में अध्यक्ष पद के लिए लोकतांत्रिक चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक यह पद मनोनयन के आधार पर दिया जाता रहा है। बस्तर जिले में इस ऐतिहासिक चुनाव के लिए 930 पंजीकृत सदस्य मतदान करेंगे।

2. प्रत्याशी और विवाद: निलंबित कर्मचारी की दावेदारी से बढ़ा राजनीतिक तापमान:

अजय प्रताप सिंह परिहार की दावेदारी पर विवाद

बस्तर जिले के विवादित ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (RHO) अजय प्रताप सिंह परिहार ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। लेकिन उसके खिलाफ लंबित गंभीर आरोपों के चलते कलेक्टर हरीश एस. के निर्देश पर CMHO डॉ. संजय बसाक ने उन्हें निलंबित कर दिया है।

रीमा दानी की आपत्ति

अजय के विरोध में नामांकन दाखिल करने वाली दूसरी प्रत्याशी रीमा दानी ने चुनाव अधिकारी को पत्र लिखकर परिहार की उम्मीदवारी को अमान्य करने की मांग की है। हालांकि अब तक इस पर कोई आधिकारिक फैसला नहीं आया है।

3. गंभीर आरोप और पद के दुरुपयोग के मामले

शैक्षणिक योग्यता में गड़बड़ी

संघ के सदस्यों के अनुसार, अजय प्रताप सिंह परिहार विज्ञान विषय में 12वीं उत्तीर्ण नहीं हैं, जो RHO पद के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कला विषय से 12वीं की है, जिससे उनकी नियुक्ति की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

आय के अन्य स्रोत

सरकारी सेवा में रहते हुए भी उनके नाम बस्तर परिवहन संघ में कई ट्रक पंजीकृत हैं, जिससे वह परिवहन व्यवसाय से भी आय अर्जित कर रहे हैं — यह सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

मानसिक प्रताड़ना और तानाशाही रवैया

संघ के कई सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अजय सिंह पिछले आठ वर्षों से स्वयंभू अध्यक्ष बने रहे और लगातार स्वास्थ्य कर्मचारियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते रहे। इन्हीं आरोपों के चलते रीमा दानी को व्यापक समर्थन मिला है।

4. प्रशासनिक निर्णय और चुनाव की अनियमितता

चुनाव की तारीख और अव्यवस्था

चुनाव अधिकारी ने पहले 20 अप्रैल को मतदान निर्धारित किया था, जिसे ईस्टर का हवाला देकर 23 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि कार्यदिवस में मतदान कराने से स्वास्थ्य सेवाएं बाधित होंगी। वहीं मतदान के लिए उचित स्थान की भी व्यवस्था नहीं की गई है।

5. बड़ा सवाल: निलंबित प्रत्याशी की उम्मीदवारी पर फैसला कब?

अब सबकी निगाहें चुनाव अधिकारी के निर्णय पर टिकी हैं कि क्या वे अजय प्रताप सिंह परिहार की उम्मीदवारी को रद्द करेंगे या नहीं। अगर नहीं किया गया, तो यह देखना रोचक होगा कि निलंबन के बावजूद उन्हें कितना समर्थन मिलता है।

निष्कर्ष: चुनाव बन गया प्रतिष्ठा और नैतिकता की लड़ाई

बस्तर जिले का यह चुनाव अब केवल नेतृत्व चयन नहीं, बल्कि सदस्य अधिकारों, नियमों की पवित्रता और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक राजनीतिक संघर्ष बन चुका है। यह चुनाव केवल अध्यक्ष के चयन तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे संघ की दिशा और भविष्य का निर्धारण करेगा।

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