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दंतेवाड़ा में विश्व प्रसिद्ध फागुन मेला शुरू: 600 साल पुरानी परंपरा के साक्षी बनेंगे हजारों श्रद्धालु

  दंतेवाड़ा में विश्व प्रसिद्ध फागुन मेला शुरू: 600 साल पुरानी परंपरा के साक्षी बनेंगे हजारों श्रद्धालु: दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के ...

 दंतेवाड़ा में विश्व प्रसिद्ध फागुन मेला शुरू: 600 साल पुरानी परंपरा के साक्षी बनेंगे हजारों श्रद्धालु:

दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में आज, 5 मार्च से विश्व प्रसिद्ध फागुन मेले की भव्य शुरुआत हो गई। कलश स्थापना के साथ मेले की औपचारिक शुरुआत हुई, और आज पहली पालकी यात्रा निकाली जाएगी। यह ऐतिहासिक मेला 15 मार्च तक चलेगा, जिसमें 1000 से अधिक देवी-देवता अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

600 साल पुरानी परंपरा, आखेट से जुड़ी मान्यता:

फागुन मेले की परंपरा लगभग 600 साल पुरानी है, जिसकी शुरुआत शिकार (आखेट) से जुड़ी हुई मानी जाती है। मान्यता है कि इस मेले के दौरान देवी-देवताओं को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है, और पारंपरिक विधियों के साथ अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं।


मां दंतेश्वरी की विशेष पूजा-अर्चना:

दंतेवाड़ा की अधिष्ठात्री मां दंतेश्वरी की पूरे मेले के दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। स्थानीय पुजारी और श्रद्धालु अनुष्ठानिक प्रक्रियाओं का पालन करते हैं। इस दौरान विभिन्न पारंपरिक नृत्य, भजन-कीर्तन, और धार्मिक अनुष्ठान भी आयोजित किए जाते हैं।


श्रद्धालुओं और पर्यटकों का जमावड़ा:

फागुन मेला केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक मेलजोल का भी केंद्र होता है। हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस मेले में शामिल होने के लिए दंतेवाड़ा पहुंचते हैं। यह मेला लोक संस्कृति, भक्ति, और परंपरा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।


15 मार्च को देवी-देवताओं की विदाई:

15 मार्च को देवी-देवताओं की विदाई यात्रा निकाली जाएगी, जिसके साथ मेले का समापन होगा। इस दौरान विशेष अनुष्ठान होंगे और भक्तगण मां दंतेश्वरी से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगेंगे।


छत्तीसगढ़ की धरोहर, आस्था का प्रतीक:

दंतेवाड़ा का फागुन मेला आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह मेला न केवल स्थानीय जनमानस बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र उत्सव है, जहां भक्तिभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया जा सकता है।

अगर आप भी इस अद्भुत मेले का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो दंतेवाड़ा पहुंचकर इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक गरिमा का अनुभव करें!


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