राजभवन, सीएम हाउस के पास भी हाल बदतर, चंदे से चल रहे शौचालय: रायपुर: राजधानी की स्वच्छता की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। इस बार क...
राजभवन, सीएम हाउस के पास भी हाल बदतर, चंदे से चल रहे शौचालय:
रायपुर: राजधानी की स्वच्छता की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉयलेट की सफाई को 1000 अंकों का वज़न दिया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि शहर के पब्लिक टॉयलेट्स की हालत खराब है।
सफाई का हाल:
92.5% टॉयलेट्स में साबुन या सोप डिस्पेंसर नहीं हैं।
85% में सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं।
70% से ज्यादा टॉयलेट्स में वॉशबेसिन खराब हैं।
हालात इतने खराब हैं कि राजभवन, मुख्यमंत्री आवास और नगरीय प्रशासन मंत्री के घर के पास भी पब्लिक टॉयलेट बदहाल हैं। कई टॉयलेट चंदे के सहारे चल रहे हैं।
महिलाओं के लिए हाईजीन का संकट और बढ़ जाता है, क्योंकि ज़्यादातर जगहों पर साफ-सफाई और जरूरी सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छे अंक हासिल करना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
अब सवाल उठता है कि जब राजधानी में ही स्वच्छता की यह स्थिति है, तो छोटे शहरों और गांवों में हालात कैसे होंगे?
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