प्रेम विवाह की सजा: बेटे को मां की अर्थी को कंधा तक नहीं देने दिया: भिलाई : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के उतई क्षेत्र के एक गांव में पंचायत ...
प्रेम विवाह की सजा: बेटे को मां की अर्थी को कंधा तक नहीं देने दिया:
भिलाई : छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के उतई क्षेत्र के एक गांव में पंचायत के तानाशाही फरमान का सनसनीखेज मामला सामने आया है। समाज के खिलाफ जाकर प्रेम विवाह करने की सजा यहां इतनी कठोर थी कि युवक को अपनी ही मां की अर्थी को कंधा देने से रोक दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, राजेंद्र साहू (परिवर्तित नाम) ने अपनी ही जाति की एक युवती से प्रेम विवाह किया था। हालांकि, समाज के तथाकथित ठेकेदारों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने उन्हें सामाजिक बहिष्कार झेलने पर मजबूर कर दिया। हालात इतने खराब हो गए कि जब राजेंद्र की मां का निधन हुआ, तो गांव के लोगों ने उनके परिवार का साथ देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि समाज के लोगों ने उन्हें अंतिम संस्कार में भी सक्रिय रूप से भाग लेने से रोक दिया।
मनमानी का यह पहला मामला नहीं
गांव में सामाजिक बहिष्कार की यह कोई पहली घटना नहीं है। साहू समाज की पंचायत ने इससे पहले भी एक परिवार को सिर्फ इस वजह से बहिष्कृत कर दिया था कि उन्होंने समाज को 50 रुपए चंदा देने से मना कर दिया था। यह बहिष्कार पूरे पांच साल से जारी है।
ग्रामीणों के मुताबिक, इस तरह की घटनाएं आम हो चली हैं, जहां समाज के प्रभावशाली लोग अपने फैसले दूसरों पर थोप रहे हैं। वहीं, पीड़ित परिवार प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रशासन चुप, पीड़ित परिवार न्याय की आस में:
राजेंद्र साहू का कहना है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया, बल्कि सिर्फ अपने मन से शादी की थी। "अगर समाज के नियम इतने सख्त हैं कि एक बेटे को उसकी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने से रोका जाए, तो ऐसे नियमों पर सवाल उठना जरूरी है," उन्होंने कहा।
इस अमानवीय फैसले को लेकर प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस अन्याय के खिलाफ कोई कदम उठाता है या नहीं, या फिर ऐसी घटनाएं समाज में यूं ही चलती रहेंगी।
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