नक्सलियों ने 8 परिवारों को गांव से निकाला: जनअदालत में सुनाया फरमान, कहा – 'जाओ वरना मारे जाओगे': दंतेवाड़ा/बीजापुर: छत्तीसगढ़ के ...
नक्सलियों ने 8 परिवारों को गांव से निकाला: जनअदालत में सुनाया फरमान, कहा – 'जाओ वरना मारे जाओगे':
दंतेवाड़ा/बीजापुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-बीजापुर-नारायणपुर जिले की सरहद पर बसे दो गांवों के आठ परिवारों को नक्सलियों ने जबरन गांव से निकाल दिया। आरोप है कि ये परिवार पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहे थे, जिससे हाल ही में थुलथुली मुठभेड़ में 38 नक्सली मारे गए। नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर इन लोगों को चेतावनी दी कि वे गांव छोड़ दें, नहीं तो जान से हाथ धो बैठेंगे।
जनअदालत में सुनाई गई सजा:
सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों ने ग्रामीणों को जबरन एक बैठक में बुलाया, जिसे उन्होंने 'जनअदालत' का नाम दिया। यहां उन्होंने इन 8 परिवारों पर पुलिस को सूचना देने का आरोप लगाया और कहा कि इन्हीं की वजह से थुलथुली एनकाउंटर में उनके 38 साथी मारे गए। नक्सलियों ने इन परिवारों को साफ शब्दों में धमकी दी— "या तो गांव छोड़ दो, वरना मौत के लिए तैयार रहो।"
बेकसूर ग्रामीणों पर जबरन आरोप:
गांव से निकाले गए परिवारों में महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं। इनमें से कई लोगों ने बताया कि वे निर्दोष हैं और उनका पुलिस से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन नक्सलियों ने बिना किसी सबूत के उन्हें सजा सुनाकर गांव से बेदखल कर दिया।
अब कहां जाएंगे ये परिवार?
गांव से निकाले गए लोग फिलहाल जंगलों और सुरक्षित ठिकानों की ओर जा रहे हैं। इनमें से कुछ ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है। इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है, क्योंकि नक्सली पहले भी इसी तरह ग्रामीणों को निशाना बनाते रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी, बढ़ रही चिंता:
अब तक प्रशासन या पुलिस की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर नक्सल प्रभावित इलाकों में आम लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो ऐसे निर्दोष लोगों की जिंदगी और मुश्किल हो सकती है।
यह घटना न केवल नक्सल समस्या की भयावहता को दिखाती है, बल्कि यह भी उजागर करती है कि किस तरह आम ग्रामीण दो पाटों के बीच पिस रहे हैं—एक तरफ नक्सली और दूसरी तरफ प्रशासन।
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