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पलाश के फूल और पालक से बन रहा प्राकृतिक गुलाल: राजनांदगांव की महिलाओं को मिला 3 क्विंटल ऑर्डर

  पलाश के फूल और पालक से बन रहा प्राकृतिक गुलाल: राजनांदगांव की महिलाओं को मिला 3 क्विंटल ऑर्डर: राजनांदगांव :  होली के रंग अब और भी खास और ...

 पलाश के फूल और पालक से बन रहा प्राकृतिक गुलाल: राजनांदगांव की महिलाओं को मिला 3 क्विंटल ऑर्डर:

राजनांदगांव : होली के रंग अब और भी खास और प्राकृतिक होंगे। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में मां बम्लेश्वरी महिला समूह की महिलाएं पलाश के फूलों और पालक से प्राकृतिक रंग और गुलाल तैयार कर रही हैं। इस नवाचार से न केवल पर्यावरण को लाभ हो रहा है, बल्कि स्थानीय महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।

समूह की महिलाओं को इस कार्य के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे केमिकल-फ्री और त्वचा के लिए सुरक्षित रंग बना सकें। इस प्रयास को काफी सराहना मिल रही है, जिससे उन्हें करीब 3 क्विंटल प्राकृतिक रंग का ऑर्डर मिला है।


कैसे बनता है प्राकृतिक रंग?

पलाश के फूलों को सुखाकर उनका पाउडर बनाया जाता है, जो लाल और नारंगी रंग देता है। वहीं, पालक को सुखाकर पीसने से हरा रंग प्राप्त होता है। ये रंग पूरी तरह रासायनिक पदार्थों से मुक्त होते हैं और त्वचा के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।


रोजगार और पर्यावरण को फायदा:

यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि केमिकल रंगों के इस्तेमाल को कम कर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है। महिलाओं का कहना है कि प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ रही है और इससे उनकी आमदनी में भी सुधार हो रहा है।


लोगों में बढ़ रही जागरूकता:

प्राकृतिक रंगों की मांग सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी आ रही है। लोग अब त्वचा और पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और हर्बल रंगों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

इस अनोखी पहल से होली का त्योहार और भी सुरक्षित और खुशहाल बनने जा रहा है।


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