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बजट भाषण में गुरुघासीदास का उल्लेख, बघेल के बयान पर बवाल

  बजट भाषण में गुरुघासीदास का उल्लेख, बघेल के बयान पर बवाल: रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को पेश किए गए बजट के बाद एक नया विवाद खड़ा...

 बजट भाषण में गुरुघासीदास का उल्लेख, बघेल के बयान पर बवाल:

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को पेश किए गए बजट के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर सतनामी समाज के अपमान का आरोप लगाया जा रहा है। दरअसल, वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने अपने बजट भाषण के दौरान गुरुघासीदास जी का उल्लेख किया, लेकिन भूपेश बघेल ने इसे "कवि-सम्मेलन" करार दिया। इस टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और सतनामी समाज के नेताओं ने कड़ी आपत्ति जताई है।


भूपेश बघेल के बयान पर विरोध:

बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने छह बार अलग-अलग कविताओं, शायरी और छत्तीसगढ़ी तुकबंदियों का प्रयोग किया। करीब पौने दो घंटे के इस भाषण के बाद भूपेश बघेल ने इसे "कवि-सम्मेलन" की संज्ञा दे दी। विपक्ष का आरोप है कि बघेल का यह बयान संत गुरुघासीदास जी जैसे महान व्यक्तित्व के अपमान के समान है।


BJP का तीखा हमला:

भाजपा नेताओं ने बघेल के इस बयान की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि गुरुघासीदास जी केवल सतनामी समाज ही नहीं, बल्कि संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए आदर्श हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से महापुरुषों के योगदान को हल्के में लेती रही है और बघेल का बयान इसी मानसिकता का प्रमाण है।


सतनामी समाज में रोष:

सतनामी समाज के प्रमुखों और संतों ने भी इस टिप्पणी को लेकर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि गुरुघासीदास जी की शिक्षाएं समाज को एक नई दिशा देने वाली हैं, और उनके उल्लेख को "कवि-सम्मेलन" कहना अस्वीकार्य है।


बघेल ने दी सफाई:

विवाद बढ़ने के बाद भूपेश बघेल ने सफाई दी कि उनका इरादा किसी महापुरुष या समुदाय की भावनाओं को आहत करने का नहीं था। उन्होंने कहा कि उनका बयान केवल बजट भाषण की शैली को लेकर था, न कि किसी संत या उनकी शिक्षाओं के प्रति अनादर का संकेत।


राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी:

यह मुद्दा अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। भाजपा इसे कांग्रेस की जनविरोधी मानसिकता बता रही है, तो वहीं कांग्रेस इसे भाजपा की "राजनीतिक चाल" करार दे रही है। देखना होगा कि इस विवाद का असर राज्य की राजनीति पर कितना पड़ता है और सतनामी समाज इस पर क्या रुख अपनाता है।


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