700 साल पुराना कोंडागांव का मंडई मेला: आम के पत्तों से न्योता, 22 पाली के देवी-देवताओं की पूजा: कोंडागांव : में 700 साल पुरानी परंपरा को ...
700 साल पुराना कोंडागांव का मंडई मेला: आम के पत्तों से न्योता, 22 पाली के देवी-देवताओं की पूजा:
कोंडागांव : में 700 साल पुरानी परंपरा को जीवंत रखते हुए सात दिवसीय मंडई मेले की भव्य शुरुआत हो गई है। हर साल फागुन पूर्णिमा के पहले मंगलवार को ग्रामीण आम के पत्तों से निमंत्रण देने की परंपरा निभाते हैं, जो इस मेले की विशेषता है।
आस्था और परंपरा का संगम:
यह मेला 22 पाली के देवी-देवताओं को समर्पित है, जिनकी विधिवत पूजा-अर्चना कर उन्हें आमंत्रित किया जाता है। स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि इन देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलने से क्षेत्र में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
न्योते की अनूठी परंपरा:
मेले से पहले गांव के बुजुर्ग और पुजारी आम के पत्तों से बना पारंपरिक न्योता लेकर अलग-अलग गांवों में जाते हैं। यह न्योता स्नेह और सामूहिक उत्सव का प्रतीक माना जाता है।
सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव:
मेला न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, कला और परंपराओं को भी संजोए रखता है। इसमें पारंपरिक नृत्य, लोकगीत और हस्तशिल्प की झलक देखने को मिलती है, जिससे यह एक लोक महोत्सव का रूप ले लेता है।
कोंडागांव का मंडई मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सदियों पुरानी संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है, जो पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को संजोए हुए है।
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