तेलंगाना की पत्थर फैक्ट्री में लापरवाही का खुलासा: मजदूरों को सिलिकोसिस का खतरा, निगरानी का भी अभाव: रायपुर/दंतेवाड़ा: तेलंगाना की जिस पत्...
तेलंगाना की पत्थर फैक्ट्री में लापरवाही का खुलासा: मजदूरों को सिलिकोसिस का खतरा, निगरानी का भी अभाव:
रायपुर/दंतेवाड़ा: तेलंगाना की जिस पत्थर फैक्ट्री में काम करने के बाद छत्तीसगढ़ के मजदूर सिलिकोसिस और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, उसे लेकर एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। छत्तीसगढ़ श्रम विभाग की पांच सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह फैक्ट्री सिलिकोसिस प्रोन (संवेदनशील) क्षेत्र में स्थित थी, लेकिन वहां सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी की गई।
सिर्फ आधे दिन की छुट्टी, स्वास्थ्य निगरानी का अभाव:
जांच रिपोर्ट के अनुसार, फैक्ट्री में श्रमिकों को सप्ताह में केवल आधे दिन की ही छुट्टी दी जाती थी, जिससे उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता था। इसके अलावा, वहां किसी भी तरह की स्वास्थ्य निगरानी व्यवस्था मौजूद नहीं थी। मजदूर लगातार सिलिका धूल के संपर्क में रहते थे, जिससे उनके फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ा।
सुरक्षा उपायों की अनदेखी, मजदूरों की सेहत पर खतरा:
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि फैक्ट्री में उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा रहा था। मजदूर बिना मास्क और अन्य सुरक्षा साधनों के पत्थर काटने और तराशने का काम कर रहे थे। इससे उनके शरीर में धीरे-धीरे जहरीली सिलिका धूल जमा होती गई, जिससे वे सिलिकोसिस और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो गए।
मजदूरों के इलाज पर संकट, सरकार से मदद की मांग:
अब जब इन मजदूरों की तबीयत बिगड़ने लगी है, तो वे उचित इलाज के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तेलंगाना सरकार से इस फैक्ट्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, बीमार मजदूरों को मुआवजा और बेहतर इलाज दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
यह मामला न केवल श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर उद्योगों की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बिना निगरानी और सुरक्षा उपायों के मजदूरों को कितनी खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
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