नगर निगम के सामने बेबस जनता, बड़े प्रतिष्ठानों पर मेहरबानी: लखनऊ: अदब और नफासत की नगरी लखनऊ में नगर निगम जनता को सुविधाएं देने के लिए प्रत...
नगर निगम के सामने बेबस जनता, बड़े प्रतिष्ठानों पर मेहरबानी:
लखनऊ: अदब और नफासत की नगरी लखनऊ में नगर निगम जनता को सुविधाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसकी आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। वजह साफ है—बड़े और प्रतिष्ठित बकायेदार अपनी ज़िम्मेदारी निभाने से बच रहे हैं। नगर निगम टैक्स वसूली के लिए शिविर, छूट और तमाम उपाय अपना चुका है, फिर भी प्रभावशाली संस्थान टैक्स चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं।
बड़े प्रतिष्ठान नहीं निभा रहे जिम्मेदारी:
लखनऊ के कई नामी-गिरामी प्रतिष्ठान, जिनकी शहर में अपनी अलग पहचान है, नगर निगम का बकाया हाउस टैक्स नहीं भर रहे। दूसरी ओर, मध्यम और निम्न वर्ग के नागरिकों से वसूली में नगर निगम कोई नरमी नहीं बरतता। उन पर सख्ती की जाती है, नोटिस थमाए जाते हैं, और ज़रूरत पड़ने पर संपत्तियों को कुर्क करने तक की नौबत आ जाती है। लेकिन बड़े बकायेदारों के खिलाफ ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।
विकास कार्यों पर पड़ रहा असर:
नगर निगम की आय का मुख्य स्रोत हाउस टैक्स होता है, जिससे शहर के विकास कार्य संचालित किए जाते हैं। सड़कों की मरम्मत, सफाई व्यवस्था, स्ट्रीट लाइट, जल निकासी जैसे बुनियादी कार्य इसी बजट से पूरे किए जाते हैं। जब प्रतिष्ठान और बड़े बकायेदार टैक्स नहीं चुकाते, तो इन सेवाओं पर असर पड़ता है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।
क्या करेगा नगर निगम?
अब सवाल यह है कि नगर निगम इन बड़े बकायेदारों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई करेगा? क्या उन पर भी वही सख्ती होगी, जो आम नागरिकों पर की जाती है? या फिर यह रसूखदारों के प्रभाव में दबकर महज कागजी कार्यवाही तक सीमित रह जाएगा?
लखनऊ के विकास के लिए जरूरी है कि हर नागरिक, चाहे वह आम हो या खास, अपनी जिम्मेदारी को समझे और समय पर टैक्स अदा करे। अन्यथा, शहर का विकास सिर्फ सरकारी कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगा।
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