इयरफोन-हेडफोन के अधिक इस्तेमाल से खतरा: युवा और बच्चे तेजी से सुनने की क्षमता खो रहे रायपुर: आज के डिजिटल युग में इयरफोन और हेडफोन का इस...
इयरफोन-हेडफोन के अधिक इस्तेमाल से खतरा: युवा और बच्चे तेजी से सुनने की क्षमता खो रहे
रायपुर: आज के डिजिटल युग में इयरफोन और हेडफोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके खतरनाक दुष्प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार तेज़ आवाज़ में गाने सुनने या कॉल पर बात करने से युवाओं और बच्चों में सुनने की क्षमता कमजोर हो रही है। यह समस्या केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि अब कम उम्र में ही कई लोग सुनने में परेशानी का सामना कर रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि लगातार तेज़ आवाज़ में संगीत सुनने से कानों की नाज़ुक नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे ‘नॉयस-इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस’ (NIHL) का खतरा बढ़ जाता है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में स्थायी बहरेपन की समस्या हो सकती है।
क्या कहती है रिसर्च?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, 85 डेसिबल से अधिक की आवाज़ लंबे समय तक सुनने से कानों को नुकसान पहुंच सकता है। मोबाइल और लैपटॉप से जुड़े इयरफोन या हेडफोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों और युवाओं में सुनने की समस्याओं को बढ़ा रहा है।
इयरफोन और हेडफोन के अधिक इस्तेमाल से सुनने की क्षमता घट रही, युवा हो रहे बुढ़ापे की बीमारी के शिकार:
अगर आप या आपके बच्चे लगातार इयरफोन, हेडफोन या ईयरबड्स का उपयोग कर रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक और लंबे समय तक तेज़ आवाज़ में संगीत सुनने या कॉल करने से कानों पर गंभीर असर पड़ रहा है। इससे युवाओं और बच्चों में वही समस्याएं देखने को मिल रही हैं, जो आमतौर पर बुढ़ापे में होती हैं।
क्या हो रहा है असर?
लगातार तेज आवाज़ सुनने से ‘उच्च आवृत्ति श्रवण हानि’ (High-Frequency Hearing Loss) की समस्या बढ़ रही है। इसमें व्यक्ति को धीरे-धीरे ऊंची या हल्की आवाज़ सुनने में कठिनाई होती है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि व्यक्ति को सामान्य बातचीत तक सुनने में परेशानी होने लगे।
डॉक्टरों की चेतावनी:
विशेषज्ञों के अनुसार, 85 डेसिबल से अधिक की आवाज़ लंबे समय तक सुनने से कान की कोशिकाएं स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। कई मामलों में यह स्थिति इतनी बिगड़ सकती है कि व्यक्ति को हियरिंग एड की जरूरत पड़ सकती है।
कैसे करें बचाव?
60/60 नियम अपनाएं – आवाज़ की तीव्रता 60% से अधिक न हो और लगातार 60 मिनट से ज्यादा इस्तेमाल न करें।
नॉइज़ कैंसलेशन हेडफोन चुनें – ताकि बाहरी शोर से बचने के लिए आवाज़ ज्यादा न बढ़ानी पड़े।
ईयरफोन के बजाय स्पीकर या वायर्ड हेडफोन का उपयोग करें – ब्लूटूथ डिवाइस से रेडिएशन का खतरा भी होता है।
कानों की नियमित जांच करवाएं – अगर सुनने में किसी तरह की दिक्कत हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सावधानी ही बचाव है! अगर समय रहते इस आदत पर काबू नहीं पाया गया, तो यह समस्या महामारी का रूप ले सकती है। इसलिए आज ही सचेत हो जाएं और अपने का
नों को सुरक्षित रखें।
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