प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की 20 वर्षीय पायल कवासी की बहादुरी और प्र...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की 20 वर्षीय पायल कवासी की बहादुरी और प्रतिभा की सराहना की। पायल ने बस्तर ओलंपिक में हिस्सा लेकर कई खेलों में पदक हासिल किए, जिसमें भाला फेंक में स्वर्ण पदक भी शामिल है। बिना किसी कोच और प्रशिक्षण सुविधा के, पायल की उपलब्धि अद्वितीय है।
गांव से बस्तर ओलंपिक तक का सफर:
पायल कवासी राजामुड़ा पंचायत के बोरगापारा गांव की निवासी हैं। वह अपनी बुजुर्ग मां के साथ एक छोटे से कच्चे मकान में रहती हैं। तीन भाइयों के विवाह के बाद परिवार की जिम्मेदारी पायल और उनकी मां पर आ गई। 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद, पायल ने अपनी पढ़ाई छोड़कर मां की सेवा और घर के कामों में खुद को व्यस्त कर लिया।
कबड्डी खेलने का शौक होने के बावजूद गांव में खेल मैदान और कोचिंग सुविधा की कमी के कारण उनका यह सपना अधूरा था। कुछ समय पहले, जब पंचायत में बस्तर ओलंपिक के लिए फार्म भरे जा रहे थे, तो उन्होंने भी किसी के सुझाव पर फार्म भर दिया। यहां से उनका सफर शुरू हुआ, और उन्होंने पंचायत, ब्लॉक, जिला और संभाग स्तर पर पहला स्थान प्राप्त करते हुए स्वर्ण पदक जीता।
पीएम मोदी की सराहना से बढ़ा आत्मविश्वास:
जब पायल को नईदुनिया की टीम ने पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम में उनके नाम की चर्चा के बारे में बताया और मोबाइल पर वह संदेश सुनाया, तो वह बेहद खुश हो गईं। उन्होंने कहा, "मैं देश के प्रधानमंत्री का धन्यवाद करती हूं। उनकी सराहना से मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया है।"
गांवों में दब जाती हैं प्रतिभाएं:
पायल का मानना है कि गांवों में कई युवा प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उचित मंच और सुविधाओं की कमी के कारण उनकी प्रतिभा दब जाती है। उन्होंने कहा कि बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजनों से गांव के युवाओं को अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलता है।
पायल का संदेश:
पायल ने कहा, "परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, जब भी मौका मिले, अपना हुनर दिखाएं। मेरी तरह गांव के अन्य युवा भी अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं, अगर उन्हें प्रोत्साहन और मंच मिले।"
पायल की इस सफलता ने साबित किया है कि मजबूत इच्छाशक्ति और मेहनत से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। उनकी कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है।
PUBLISH BY GOURAV JHA
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