नई दिल्ली: संसद भवन में पिछले सप्ताह हुए शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के बीच झड़प को लेकर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने सोमवार क...
नई दिल्ली: संसद भवन में पिछले सप्ताह हुए शीतकालीन सत्र के दौरान सांसदों के बीच झड़प को लेकर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने सोमवार को अपनी स्थिति स्पष्ट की। CISF, जो संसद भवन की सुरक्षा का जिम्मा संभालता है, ने दावा किया कि सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक नहीं हुई है और न ही किसी सांसद को हथियार लाने की अनुमति दी गई थी।
CISF के उप महानिरीक्षक (अभियान) श्रीकांत किशोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमारी सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाक-चौबंद है। संसद भवन के भीतर किसी भी व्यक्ति को हथियार लाने की अनुमति नहीं है, और हमने अपनी ओर से सभी सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया है।"
हालांकि, घटना के संबंध में पूछे गए सवालों पर उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि CISF इस झड़प के बारे में कोई जांच नहीं कर रहा है। "यह मामला संसद के अंदरूनी संचालन से जुड़ा है। हमारी भूमिका केवल सुरक्षा तक सीमित है," उन्होंने जोड़ा।
• क्या है विवाद?
पिछले सप्ताह संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ सांसदों के बीच तीखी बहस हाथापाई में बदल गई थी। इस घटना ने देशभर में सुर्खियां बटोरीं और संसद के कामकाज पर सवाल खड़े किए।
इस घटना के बाद कई लोगों ने संसद भवन की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे। लेकिन CISF के इस बयान से स्पष्ट है कि सुरक्षा बल की ओर से कोई चूक नहीं हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं संसद के अनुशासन और गरिमा के लिए चिंताजनक हैं।
इस मामले में विभिन्न राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं। कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे "संसद की गरिमा को ठेस" पहुंचाने वाला बताया, जबकि सत्तारूढ़ दल ने घटना के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया।
इस विवाद के बीच CISF का बयान संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था में जनता का भरोसा बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अब देखना यह है कि संसद और संबंधित अधिकारियों द्वारा इस घटना पर क्या कदम उठाए जाते हैं।
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