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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: संपत्ति समझौता डिक्री पर नहीं लगेगी स्टाम्प ड्यूटी

नई दिल्ली : संपत्ति विवादों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि संपत्ति समझौता डिक...

नई दिल्ली: संपत्ति विवादों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि संपत्ति समझौता डिक्री के लिए न तो पंजीकरण आवश्यक है और न ही इस पर स्टाम्प ड्यूटी लगेगी। यह फैसला उन मामलों पर लागू होगा, जहां समझौता डिक्री संपत्ति पर पहले से मौजूद अधिकारों की पुष्टि मात्र करती है।



क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि यदि कोई समझौता डिक्री संपत्ति पर किसी व्यक्ति के पहले से स्थापित अधिकारों को मान्यता देती है और इसमें कोई नया अधिकार निर्मित नहीं किया जाता, तो उसे भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं होगी। साथ ही, इस प्रकार के समझौता डिक्री पर भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के तहत स्टाम्प ड्यूटी भी लागू नहीं होगी।


फैसले का कानूनी महत्व :

यह फैसला संपत्ति विवादों को सुलझाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। आमतौर पर संपत्ति विवादों में समझौता डिक्री पर स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण की प्रक्रिया से न केवल विवाद बढ़ते हैं, बल्कि समय और धन दोनों की खपत होती है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से ऐसे मामलों में प्रक्रिया सरल होगी और विवादों के शीघ्र समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा।


यह मामला एक संपत्ति विवाद से संबंधित था, जहां निचली अदालत ने समझौता डिक्री पर स्टाम्प ड्यूटी लगाने और पंजीकरण की आवश्यकता बताई थी। इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में साफ किया कि संपत्ति समझौता डिक्री केवल अधिकारों की पुष्टि करती है, नए अधिकार निर्मित नहीं करती।


कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन व्यक्तियों के लिए राहत लेकर आया है, जो परिवारिक या अन्य संपत्ति विवादों में फंसे हैं। वकील अरुण गुप्ता ने कहा, "यह निर्णय संपत्ति विवादों को सुलझाने में एक नई दिशा देगा और अनावश्यक कानूनी प्रक्रियाओं को समाप्त करेगा।"


सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से संपत्ति विवादों को सुलझाने में लगने वाले समय और लागत में कमी आएगी। इसके अलावा, विवादित पक्षों को न्यायिक प्रक्रियाओं के बोझ से मुक्ति मिलेगी।


सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला संपत्ति विवादों को सुलझाने के कानून को सरल और सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल कानूनी प्रक्रिया को सहज बनाएगा, बल्कि विवादित पक्षों के बीच न्याय की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी भी करेगा।


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