रायपुर। टूलकिट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दाय...
रायपुर। टूलकिट मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर की गई एक अपील को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की खंडपीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि हम इसमें हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं, उच्च न्यायालय को मामले में तेजी से फैसला करने दें, अपील खारिज की जाती है। योग्यता के आधार पर मामले को तय करने के रास्ते में टिप्पणियों को न आने दें।
ज्ञात हो कि दोनों नेताओं के खिलाफ एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी। सिंह ने एक दस्तावेज ट्वीट कर आरोप लगाया था कि यह कांग्रेस पार्टी द्वारा देश और नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने के लिए टूलकिट बनाया गयां है। कांग्रेस पार्टी ने इस तरह के दावों का खंडन किया था और कहा था कि पार्टी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए जाली दस्तावेज बनाये गये। शर्मा की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 (सार्वजनिक शरारत), 469 (जालसाजी) और 188 ( महामारी के लिये जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत अपराध दर्ज किया था। कोर्ट ने कहा कि धारा 504 और 505 के तहत अपराध नहीं बनता क्योंकि ट्वीट से सार्वजनिक शांति या शांति प्रभावित नहीं हुई।
धारा 469 के तहत जालसाजी के अपराध पर अदालत ने कहा कि प्राथमिकी के अवलोकन से, यह स्पष्ट था कि जालसाजी की सामग्री और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं बनाया गया था क्योंकि संलग्न दस्तावेज पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में था। न्यायालय ने धारा 188 के संबंध में कहा कि यह अपराध दर्ज करने के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 195 का पालन नहीं किया गया, जो लोक सेवकों के वैध अधिकार की अवमानना के लिए मुकदमा चलाने की शर्तों को निर्धारित करती है।
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