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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की डायरेक्टर राजेश्वरी एस.एम. ने महिला स्व-सहायता समूहों की आजीविका गतिविधियों का लिया जायजा

जगदलपुर, 11 जुलाई 2025: भारत की पारंपरिक लोककला और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बने बस्तर के स्व-सहायता समूहों के कार्यों को राष्ट्...

जगदलपुर, 11 जुलाई 2025: भारत की पारंपरिक लोककला और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बने बस्तर के स्व-सहायता समूहों के कार्यों को राष्ट्रीय पहचान मिलने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम हुआ। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की डायरेक्टर श्रीमती राजेश्वरी एस.एम. ने आज बस्तर जिले के ग्राम अलवाही में स्थित सूरज महिला स्व-सहायता समूह का दौरा कर उनके द्वारा संचालित बेलमेटल हस्तशिल्प गतिविधियों का निरीक्षण किया।

इस अवसर पर उन्होंने ढोकरा आर्ट बनाने में लगी दीदियों – खिरमानी, उसावती और बुधनी – से संवाद किया और बेलमेटल से निर्मित हस्तशिल्प की जटिल प्रक्रिया को समझा। उन्होंने महिला कलाकारों की कला की सराहना करते हुए उन्हें दिल्ली में आयोजित होने वाले 'सरस मेला' में लाइव प्रदर्शनी देने के लिए आमंत्रित किया। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि इस क्षेत्र की शिल्पकला को सुदृढ़ करने हेतु हैंडीक्राफ्ट क्लस्टर का गठन कर सभी शिल्पियों को एकजुट किया जाए।

इस भ्रमण के दौरान जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) श्री राजकुमार देवांगन, क्षेत्रीय समन्वयक श्री लालमन बंछोर एवं पीआरपी महेश निषाद भी उपस्थित रहे। यह दौरा न केवल महिलाओं के आत्मनिर्भरता के सफर को आगे बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ, बल्कि लोककला के संरक्षण और उसके बाजारीकरण की संभावनाओं को भी गति देने वाला रहा।

बेलमेटल अथवा ढोकरा आर्ट, बस्तर की पहचान और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। यह न केवल मिट्टी, मोम और धातु के मेल से बनती है, बल्कि वर्षों की परंपरा और भावनात्मक समर्पण से सजी होती है। महिला स्व-सहायता समूहों का इससे जुड़ना नारी सशक्तिकरण के लिए एक प्रेरणादायी पहल है।




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