"शिक्षकों की कमी से जूझते स्कूल: युक्तियुक्तकरण के बाद भी 1215 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे, 7 पूर्णतः शिक्षकविहीन: रायपुर : राज्य में ...
"शिक्षकों की कमी से जूझते स्कूल: युक्तियुक्तकरण के बाद भी 1215 स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे, 7 पूर्णतः शिक्षकविहीन:
रायपुर : राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए किए जा रहे युक्तियुक्तकरण (Rationalization) प्रयासों के बावजूद ज़मीनी हकीकत चिंताजनक बनी हुई है। हाल ही में संपन्न काउंसिलिंग प्रक्रिया के पश्चात भी प्रदेश के 5936 प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में से 1215 स्कूल ऐसे हैं जहाँ मात्र एक ही शिक्षक कार्यरत रहेगा। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि 7 स्कूल ऐसे हैं जहाँ एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं हो पाया है।
विशेष रूप से सुकमा ज़िले के 4 और नारायणपुर ज़िले के 3 स्कूलों में अभी भी एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हो सकी है, जिससे इन क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से ठप पड़ने की स्थिति में है।
शिक्षा के अधिकार कानून और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सरकारी दावों के बीच यह आंकड़े राज्य में शिक्षा की हकीकत को उजागर करते हैं। युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य था कि शिक्षकों का संतुलित वितरण हो और सभी स्कूलों में आवश्यकतानुसार शिक्षक उपलब्ध रहें, लेकिन व्यवहार में यह मकसद अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
शिक्षाविदों की राय में, यदि जल्द ही इन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई तो इससे बच्चों की पढ़ाई पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। वहीं ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पहले से ही शिक्षा की स्थिति कमजोर रही है, ऐसे में यह आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं।
सरकार का पक्ष:
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रक्रिया अभी जारी है और आगामी चरणों में रिक्त पदों पर शिक्षकों की पदस्थापना की जाएगी। विभाग का यह भी दावा है कि डिजिटल माध्यमों और फ्लाइंग टीचर्स की मदद से अस्थायी समाधान की कोशिश की जा रही है।
निष्कर्ष:
शिक्षा को लेकर की जा रही योजनाओं और नीतियों के सफल क्रियान्वयन के लिए ज़रूरी है कि जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएं। अन्यथा आने वाली पीढ़ी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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