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जुगाड़ से बनाई आलू बोने-काटने की मशीन, 200 बैंगन किस्मों का संरक्षण:

आठवीं तक पढ़े शिवकुमार चंद्रवंशी ने नवाचारों से बदली किस्मत, कपड़े सिलने से किसान वैज्ञानिक बनने तक का सफर कवर्धा (छत्तीसगढ़) :  कोको गांव के ...


आठवीं तक पढ़े शिवकुमार चंद्रवंशी ने नवाचारों से बदली किस्मत, कपड़े सिलने से किसान वैज्ञानिक बनने तक का सफर

कवर्धा (छत्तीसगढ़) : कोको गांव के साधारण किसान शिवकुमार चंद्रवंशी की कहानी असाधारण है। महज आठवीं तक पढ़े शिवकुमार कभी गांव में कपड़े सिलने का काम करते थे। लेकिन एक दिन उन्होंने तय कर लिया कि अब कुछ नया करना है – और इसी सोच ने उन्हें एक अनोखे किसान-वैज्ञानिक में बदल दिया।

कपड़े सिलने की मशीन को छोड़ा और खेती की ओर रुख किया, तो कदम दर कदम नवाचारों से खेती को बदलना शुरू कर दिया। संसाधनों की कमी थी, लेकिन जुनून और जिद ने उन्हें रुकने नहीं दिया। उन्होंने जुगाड़ से आलू बोने और काटने की अनोखी मशीन बना डाली। आज उनकी यह मशीन गांव-गांव में चर्चा का विषय है।

इतना ही नहीं, उन्होंने 200 किस्मों के बैंगन का संरक्षण कर मिसाल कायम कर दी। जैव विविधता की यह मिसाल कृषि वैज्ञानिकों के लिए भी प्रेरणा बन गई है। शिवकुमार अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर उन्नत, जैविक और संरक्षण आधारित खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

शिवकुमार कहते हैं, "अगर मेहनत और लगन हो, तो बड़ी डिग्री की जरूरत नहीं होती, अनुभव और प्रयोग ही असली शिक्षा है।"

आज वे गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उनका खेत एक छोटा कृषि अनुसंधान केंद्र जैसा बन गया है, जहां नवाचार की फसल लहलहा रही है।


मुख्य विशेषताएं:

जुगाड़ से बनी आलू बोने-काटने की मशीन

200 किस्मों के बैंगन का संरक्षण

कपड़ा सिलने वाले से किसान-वैज्ञानिक बनने तक की प्रेरक यात्रा

खेती में लगातार नवाचार और जैविक प्रयोग




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