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राहुल गांधी के ‘लंगड़े घोड़े’ बयान पर सियासी घमासान, घोड़े-गधे की राजनीति में उलझे नेता

  राहुल गांधी के ‘लंगड़े घोड़े’ बयान पर सियासी घमासान, घोड़े-गधे की राजनीति में उलझे नेता: रायपुर :  देश की राजनीति में बयानबाज़ी का स्तर लग...

 राहुल गांधी के ‘लंगड़े घोड़े’ बयान पर सियासी घमासान, घोड़े-गधे की राजनीति में उलझे नेता:

रायपुर : देश की राजनीति में बयानबाज़ी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है, और इसका ताज़ा उदाहरण राहुल गांधी के 'लंगड़े घोड़े' वाले बयान के बाद शुरू हुई जुबानी जंग में देखने को मिल रहा है। कांग्रेस और भाजपा के नेता अब घोड़े और गधों के ज़रिए एक-दूसरे पर तीखे राजनीतिक वार कर रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक अजय चंद्राकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्हें राजनीति का "लंगड़ा घोड़ा" बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की राजनीतिक गति थकी हुई और असंतुलित है। यही नहीं, उन्होंने छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं को "बीमार घोड़े" करार देते हुए कहा कि उन्हें वन्यजीव संरक्षण केंद्र ‘वनतारा’ में भेज देना चाहिए, जहां अंबानी के जानवरों की तरह इनकी भी देखभाल हो सके।

इसके जवाब में छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार करते हुए कहा, "हमारे नेता रेस के घोड़े हैं, जबकि भाजपा के नेता गधों की तरह सिर्फ बोझ ढोने लायक हैं।" बैज के इस बयान से सियासी माहौल और गरमा गया है।

एक बयान से शुरू हुई यह घोड़े-गधे की सियासत अब नेताओं की आपसी तकरार और व्यक्तिगत छींटाकशी का मंच बनती जा रही है। आने वाले दिनों में इस "लंगड़े घोड़े" के बहाने और भी तीखे बयान सामने आने की उम्मीद है।

जनता अब इस बात पर सोचने को मजबूर है कि मुद्दे क्या अब वाकई खत्म हो चुके हैं, जो नेताओं को राजनीतिक बहस में जानवरों का सहारा लेना पड़ रहा है?




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