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बस्तर के बच्चों के सपनों को पंख दे रहे हैं मास्टर ब्लास्टर

सचिन तेंदुलकर की पहल से 50 गांवों में बन रहे मैदान, 'मैदान कप' में 10 हजार नक्सल प्रभावित बच्चे दिखाएंगे हुनर: दंतेवाड़ा : बस्तर की ...


सचिन तेंदुलकर की पहल से 50 गांवों में बन रहे मैदान, 'मैदान कप' में 10 हजार नक्सल प्रभावित बच्चे दिखाएंगे हुनर:

दंतेवाड़ा : बस्तर की लाल मिट्टी अब सिर्फ संघर्ष की कहानियाँ नहीं कहेगी, बल्कि क्रिकेट के बल्ले से उम्मीदों की इबारत भी लिखेगी। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर अब मैदान में बल्ला नहीं, बल्कि हौसले बो रहे हैं – वह भी वहां, जहां कभी गोलियों की आवाजें गूंजती थीं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र में सचिन तेंदुलकर की अगुवाई में 50 गांवों में खेल मैदान तैयार किए जा रहे हैं। इस अनूठी पहल का उद्देश्य है – बस्तर के हजारों बच्चों को खेल के ज़रिए मुख्यधारा से जोड़ना। इस प्रयास के तहत "मैदान कप" नामक एक भव्य खेल प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जिसमें क्षेत्र के करीब 10,000 बच्चे हिस्सा लेंगे।


खेल नहीं, एक क्रांति है यह:

यह कोई आम टूर्नामेंट नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है। दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर जैसे जिले, जो कभी हिंसा के लिए जाने जाते थे, अब क्रिकेट की गूंज से सराबोर हो रहे हैं। मैदान कप की तैयारियाँ पूरे जोश से चल रही हैं, और गांव-गांव में बच्चे नेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। कुछ के पास जूते नहीं हैं, बल्ले टूटे हैं, पर जोश कम नहीं।


सचिन की सोच: "हर बच्चा मैदान में दिखे:

सचिन तेंदुलकर ने एक वीडियो संदेश में कहा, "मेरा सपना है कि बस्तर के हर बच्चे के हाथ में किताब और बल्ला हो, बंदूक नहीं। खेल उन्हें अनुशासन, आत्मविश्वास और एक सपना देता है – जिसे पूरा करना अब हमारी जिम्मेदारी है।"


स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों का सहयोग:

इस परियोजना में स्थानीय प्रशासन, पंचायतें और स्वयंसेवी संस्थाएं भी जुड़ी हैं। गांवों में खुद श्रमदान कर लोग मैदान बना रहे हैं। महिलाएं मिट्टी ढो रही हैं, युवक रोलर चला रहे हैं। मैदान केवल खेलने की जगह नहीं, गांव की नई पहचान बन रहे हैं।

यह कहानी सिर्फ बस्तर की नहीं, पूरे भारत की उम्मीद है।

जहां खेल होगा, वहां भविष्य होगा। और जब सचिन जैसा नायक साथ हो, तो जीत दूर नहीं।




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