"जहां डॉक्टर नहीं, वहां भेज दीं चेयरें: डेंटल विभाग में बड़ा खेल, 5 करोड़ की खरीदी पर सवाल" रायपुर: राज्य के स्वास्थ्य विभाग में...
"जहां डॉक्टर नहीं, वहां भेज दीं चेयरें: डेंटल विभाग में बड़ा खेल, 5 करोड़ की खरीदी पर सवाल"
रायपुर: राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कांग्रेस शासनकाल के दौरान एक और संभावित घोटाला सामने आया है। इस बार मामला डेंटल चेयर की खरीद से जुड़ा है। प्रदेशभर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मात्र 141 डेंटिस्ट के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 48 पद पहले से ही रिक्त हैं। इसके बावजूद विभाग ने 5 करोड़ रुपये की लागत से 252 डेंटल चेयर खरीद लीं।
जांच में सामने आया है कि इन चेयरों को उन अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर भी भेज दिया गया, जहां कोई डेंटिस्ट पदस्थ नहीं है। जानकारों के मुताबिक यह पूरी प्रक्रिया योजना, ज़रूरत और संसाधनों के प्रबंधन को दरकिनार कर, महज़ खर्च दिखाने और लाभ पहुंचाने के मकसद से की गई।
मोक्षित को फायदा पहुंचाने की आशंका:
सूत्रों का दावा है कि इस खरीद में एक विशेष सप्लायर कंपनी 'मोक्षित' को अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। चेयरों की कीमत बाज़ार दर से कई गुना अधिक बताई जा रही है, और गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य तंत्र की हकीकत छिपाने की कोशिश:
जब प्रदेश के कई जिलों में मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाएं और स्टाफ की भारी कमी है, ऐसे में बगैर डॉक्टरों की तैनाती वाले केंद्रों पर डेंटल चेयर भेजना साफ़ तौर पर संसाधनों की बर्बादी है। स्वास्थ्य नीति के जानकार इसे 'कागज़ी विकास' और 'बजट की खपत की हड़बड़ी' का उदाहरण बता रहे हैं।
विपक्ष और आमजन में आक्रोश:
इस खुलासे के बाद सरकार पर विपक्ष हमलावर है। बीजेपी प्रवक्ताओं ने इसे "डेंटल चेयर घोटाला" बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। वहीं आम नागरिक सवाल कर रहे हैं कि जब गांवों में डॉक्टर तक नहीं हैं, तो ऐसी महंगी मशीनें किस काम की?
निष्कर्ष:
जनता का पैसा जनता की जरूरतों पर खर्च होना चाहिए, न कि कागज़ी विकास के दिखावे में। डेंटल चेयर की यह खरीद एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि स्वास्थ्य सेवाएं सुविधा बन रही हैं या भ्रष्टाचार का नया ज़रिया?
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