"सुशासन की मिसाल: ज़मीनी दौरे और त्वरित कार्रवाई" : - शुभांशु झा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का हालिया दौरा और उनक...
"सुशासन की मिसाल: ज़मीनी दौरे और त्वरित कार्रवाई": - शुभांशु झा
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का हालिया दौरा और उनकी तत्परता जनता की समस्याओं को सुनने और तुरंत प्रतिक्रिया देने की नीति को दर्शाता है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के नेवसा गांव में पेयजल संकट को लेकर मुख्यमंत्री की नाराज़गी समझी जा सकती है।
हैंडपंप न जाने कब से खराब हों और ग्रामीणों को पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत के लिए जूझना पड़े, यह निश्चित ही प्रशासनिक विफलता का संकेत है। ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा संबंधित अधिकारी से जवाब तलब करना सर्वथा उचित कदम है।
अन्य मामलों में भी त्वरित कार्रवाई
इसी तारतम्य में, मुंगेली के मनियारी और पथरिया जलाशय परियोजना लंबे अरसे से अधूरी होने की वजह से मुंगेली के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आर.के. मिश्रा सस्पेंड हुए। वहीं, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में बोर्ड परीक्षा का परिणाम बेहद ही ख़राब रहा। इस स्थिति के चलते जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश शास्त्री को भी सस्पेंड कर दिया गया।
सख्ती या प्रशासनिक संवेदनशीलता?
मुख्यमंत्री द्वारा नेवसा गांव में पेयजल संकट को लेकर PHE विभाग के सब-इंजीनियर पर की गई सख्ती को अधिकांश लोग प्रशासनिक संवेदनशीलता का प्रतीक मान रहे हैं। जब किसी गांव में लोग गर्मी के मौसम में पीने के पानी के लिए परेशान हों और शिकायत के बावजूद समाधान न हुआ हो, तो यह लापरवाही गंभीर चिंता का विषय है।
अविलंब कार्रवाई का स्पष्ट संदेश
मुख्यमंत्री ने न केवल मौके पर पहुंचकर समस्या की वास्तविकता जानी, बल्कि जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल फटकार लगाकर कार्य की गंभीरता का एहसास कराया। यह एक कड़ा और स्पष्ट संदेश है—जनसेवा में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस प्रकार की त्वरित और प्रत्यक्ष कार्रवाई यह दिखाती है कि राज्य सरकार सिर्फ कागज़ों पर नहीं, ज़मीन पर भी सुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
जवाबदेही से ही बनता है भरोसा
सरकारी मशीनरी में अक्सर शिकायतों को टालने या दबाने की प्रवृत्ति देखी जाती है। जब शीर्ष नेतृत्व खुद इस रवैये के खिलाफ सख्त रुख अपनाता है, तो निचले स्तर के अधिकारी भी सजग होते हैं और अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेते हैं।
यह कार्यशैली जनता में भरोसा पैदा करती है कि सरकार उनकी समस्याओं को लेकर संवेदनशील और सक्रिय है।
सख्ती जरूरी, लेकिन प्रक्रिया भी
हालाँकि, यह भी ज़रूरी है कि सख्ती के साथ-साथ संस्थागत मर्यादा और प्रक्रिया का पालन हो। मगर जनहित में यदि कोई कदम तत्काल प्रतिक्रिया के रूप में उठाया गया है, तो उसका उद्देश्य अपमान नहीं बल्कि चेतावनी और जवाबदेही का संदेश देना होता है।
नवीन कार्य संस्कृति की शुरुआत
मुख्यमंत्री का यह कदम उस प्रशासनिक चेतना का प्रतीक है जो सुशासन को सिर्फ शब्दों में नहीं, क्रियान्वयन में लाना चाहती है। यदि ऐसी ही सजगता और सक्रियता निरंतर बनी रहे, तो यह राज्य प्रशासन में एक नई कार्य संस्कृति की शुरुआत होगी।
– शुभांशु झा
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