सफाई का सच: 6 साल में 269 करोड़ खर्च, फिर भी रायपुर स्वच्छता में फेल — जमीनी पड़ताल: रायपुर : शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 की प्रक्रिया ...
सफाई का सच: 6 साल में 269 करोड़ खर्च, फिर भी रायपुर स्वच्छता में फेल — जमीनी पड़ताल:
रायपुर : शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब पूरे देश को नतीजों का इंतजार है। लेकिन रायपुर की स्थिति इस बार भी चिंताजनक बनी हुई है। पिछले 6 वर्षों में नगर निगम ने स्वच्छता पर करीब 269 करोड़ रुपए खर्च किए, बावजूद इसके शहर एक बार भी टॉप 5 की सूची में जगह नहीं बना सका।
मीडिया की जमीनी पड़ताल ने साफ कर दिया है कि सरकारी रिपोर्टों और असल हालात के बीच गहरी खाई है। कागजों में भले ही 100% कचरा प्रोसेसिंग का दावा किया जा रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि कचरा उठाने वाली गाड़ियों में गीला-सूखा कचरा एकसाथ मिलाया जा रहा है, जिससे न केवल प्रोसेसिंग मुश्किल हो रही है, बल्कि पूरे सिस्टम की साख पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
269 करोड़ में क्या बदला?
नगर निगम ने बीते 6 सालों में सफाई, कचरा प्रबंधन, मशीनरी, मानव संसाधन और प्रचार-प्रसार पर 269 करोड़ रुपए खर्च किए। लेकिन शहर की गलियों में अब भी गंदगी के ढेर, नाले जाम, और कूड़ा-कचरे से बजबजाती सड़कें देखी जा सकती हैं।
सर्वे में हर बार फेल क्यों?
रायपुर न केवल टॉप 5 से बाहर है, बल्कि कई बार स्वच्छता के मूल मानकों — जैसे डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, स्रोत पर कचरे का पृथक्करण, और वैज्ञानिक प्रोसेसिंग — पर भी फेल पाया गया है।
स्थानीयों की नाराजगी:
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि "हर साल सिर्फ सफाई सप्ताह और ब्रांड एंबेसडर के पोस्टर बदले जाते हैं, ज़मीनी हकीकत जस की तस बनी रहती है।"
अब सवाल उठता है:
इतने बड़े बजट का प्रभाव क्या सिर्फ कागजों तक सीमित है?
क्या निगम की साफ-सफाई योजनाएं केवल सर्वे के दौरान सक्रिय होती हैं?
और सबसे अहम, क्या जनता के टैक्स का पैसा सही दिशा में खर्च हो रहा है?ग
ले कुछ दिनों तक रायपुर के अलग-अलग इलाकों से सफाई व्यवस्था की असली तस्वीर आपके सामने लाएगी।
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