बिलासपुर जोन में यात्री सुविधाएं हाशिए पर, माल ढुलाई से कमाए 22,807 करोड़ रुपए: रायपुर/बिलासपुर: भारतीय रेलवे की 'पंक्चुअलिटी' पर ...
बिलासपुर जोन में यात्री सुविधाएं हाशिए पर, माल ढुलाई से कमाए 22,807 करोड़ रुपए:
रायपुर/बिलासपुर:भारतीय रेलवे की 'पंक्चुअलिटी' पर अब सवाल उठने लगे हैं। यात्रियों की सुविधा के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं जरूर होती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। बिलासपुर रेल जोन में पिछले 10 महीनों से यात्री ट्रेनों को आउटर पर रोककर मालगाड़ियों को रास्ता दिया जा रहा है। इस 'नई प्राथमिकता' के चलते बीते वित्त वर्ष में 2790 यात्री ट्रेनें या तो रद्द कर दी गईं या फिर बुरी तरह लेट रहीं।
रेलवे के 17 जोनों में से बिलासपुर जोन यात्री सुविधाओं के मामले में फिसड्डी साबित हुआ है। जबकि इसी जोन ने माल ढुलाई से रिकॉर्ड कमाई की है। बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 में माल ढुलाई से रेलवे ने 22,807 करोड़ रुपए की आय अर्जित की। सवाल यह है कि जब कमाई का बड़ा हिस्सा इसी जोन से आता है, तो फिर यहां के यात्रियों को सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं?
यात्रियों की बढ़ती परेशानी:
बिलासपुर और रायपुर स्टेशन पर हर दिन सैकड़ों यात्री इस अव्यवस्था का शिकार हो रहे हैं। आउटर पर घंटों तक ट्रेनों का खड़ा रहना आम बात हो गई है। कुछ एक्सप्रेस ट्रेनों को भी बिना पूर्व सूचना के रद्द कर दिया जाता है, जिससे यात्रियों को न केवल मानसिक तनाव झेलना पड़ता है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी होता है।
रेलवे का तर्क और आलोचना:
रेलवे अधिकारियों का तर्क है कि मालगाड़ियों को समय पर गंतव्य तक पहुंचाना आवश्यक है, जिससे लॉजिस्टिक चेन बाधित न हो। लेकिन जानकारों का कहना है कि रेलवे को संतुलन बनाना चाहिए – न कि मुनाफे की होड़ में आम यात्रियों की उपेक्षा करनी चाहिए।
निष्कर्ष:
माल ढुलाई से रेलवे को भले ही करोड़ों का फायदा हो रहा हो, लेकिन यात्री सेवा की अनदेखी करना भविष्य में रेलवे की साख को नुकसान पहुंचा सकता है। जरूरत है कि नीति नियंता इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और यात्रियों को समयबद्ध और सुविधाजनक सेवा प्रदान करें।
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