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नक्सलियों से शांतिवार्ता की तैयारी: टीम में जज, नेता और प्रोफेसर शामिल; एक सदस्य पर UAPA का केस

  नक्सलियों से शांतिवार्ता की तैयारी: टीम में जज, नेता और प्रोफेसर शामिल; एक सदस्य पर UAPA का केस: जगदालपुर: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर चल र...

 नक्सलियों से शांतिवार्ता की तैयारी: टीम में जज, नेता और प्रोफेसर शामिल; एक सदस्य पर UAPA का केस:

जगदालपुर: छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर चल रहे नक्सल विरोधी अभियान के बीच तेलंगाना सरकार ने एक शांतिवार्ता समिति का गठन किया है। इस समिति में रिटायर्ड जज, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रोफेसर और राजनीतिक नेता शामिल हैं। इनमें से एक सदस्य पर पहले नक्सलियों से सांठगांठ के आरोप में UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला भी दर्ज हो चुका है।

रेवंत रेड्डी से मुलाकात:

शांतिवार्ता समिति के 5 से 6 प्रतिनिधियों ने हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से मुलाकात की। उनका उद्देश्य है राज्य में शांति स्थापित करने के लिए माओवादियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करना। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब छत्तीसगढ़ की फोर्स सीमा से लगे कर्रेगुट्टा के पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर नक्सल विरोधी अभियान चला रही है।


तेलंगाना में ऑपरेशन पर सवाल:

जहां एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है, वहीं तेलंगाना में माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़े ऑपरेशन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। स्थानीय संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि सिर्फ सैन्य कार्रवाई से समस्या हल नहीं होगी, इसलिए बातचीत ही रास्ता है।


समिति की भूमिका पर उठ रहे सवाल:

शांतिवार्ता समिति की निष्पक्षता और प्रभावशीलता पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक सदस्य पर पहले से ही नक्सल संबंधों का आरोप है। ऐसे में सरकार की मंशा और वार्ता प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर बहस तेज हो गई है।


अब आगे क्या?

तेलंगाना सरकार फिलहाल वार्ता की संभावनाएं टटोल रही है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ सरकार ऑपरेशन में किसी भी तरह की ढिलाई के पक्ष में नहीं दिखती। ऐसे में दोनों राज्यों की रणनीतियों में टकराव संभव है, जिसका असर जमीनी हालात पर साफ दिखाई दे सकता है।




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