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5 करोड़ का मोस्ट वांटेड नक्सली लीडर बसवा राजू ढेर

अबूझमाड़ की धरती पर सुरक्षा बलों की ऐतिहासिक जीत, 27 नक्सली मारे गए: नारायणपुर (छत्तीसगढ़): देश को दहला देने वाली नक्सली घटनाओं के पीछे सक्रि...


अबूझमाड़ की धरती पर सुरक्षा बलों की ऐतिहासिक जीत, 27 नक्सली मारे गए:

नारायणपुर (छत्तीसगढ़):देश को दहला देने वाली नक्सली घटनाओं के पीछे सक्रिय एक बड़ा चेहरा अंततः ढेर हो गया। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। 27 नक्सलियों के खात्मे के साथ-साथ मारा गया कुख्यात नक्सली लीडर बसवा राजू, जिस पर पांच राज्यों में कुल मिलाकर 5 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था।

यह मुठभेड़ नारायणपुर जिले के घने जंगलों में हुई, जहां सीआरपीएफ, डीआरजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने दुर्गम परिस्थितियों में भी ऑपरेशन को अंजाम दिया। मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से सभी नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं।


कौन था बसवा राजू?

बसवा राजू, जिसका असली नाम नंबाला केशव राव था, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का एक सीनियर कैडर और जनरल सेक्रेटरी था। 75 वर्षीय यह खूंखार आतंकी आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम का रहने वाला था और बीटेक की पढ़ाई के बाद 1970 में अपने घर को अलविदा कहकर माओवादी आंदोलन में शामिल हो गया था।

उसे गगन्ना, प्रकाश और बीआर जैसे कोडनेम से जाना जाता था। 1987 में बस्तर के जंगलों में लिट्टे कैंप से बम बनाने और एंबुश रणनीति की ट्रेनिंग ली थी। 2018 में माओवादी संगठन की कमान उसी के हाथों सौंपी गई थी।


दंतेवाड़ा हमला: उसके खूनी इतिहास का काला अध्याय:

2010 के दंतेवाड़ा हमले, जिसमें 75 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे, के पीछे भी बसवा राजू का ही हाथ था। उसके खिलाफ तेलंगाना, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में एक के बाद एक बड़े मामलों में वारंट जारी थे।


गुरिल्ला युद्ध में माहिर, खात्मे से हिला नक्सल नेटवर्क:

बसवा राजू को गुरिल्ला युद्ध और बम विस्फोट की तकनीकों में महारत हासिल थी। उसका मारा जाना माओवादी नेटवर्क के लिए एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी का चीफ होने के नाते वह रणनीति और संचालन दोनों स्तरों पर प्रभावशाली भूमिका निभाता था।


सुरक्षा बलों का साहस, रणनीति और समर्पण रंग लाया:

अबूझमाड़ जैसे चुनौतीपूर्ण इलाके में यह कार्रवाई सुरक्षा बलों की रणनीतिक समझ, साहस और धैर्य का परिचायक है। अधिकारियों का मानना है कि इससे नक्सली नेटवर्क के मनोबल पर करारा प्रहार हुआ है

यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।



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