सरकार का एक्शन जारी रखने की मांग, कहा- डर के कारण लिख रहे नक्सली पत्र: रायपुर : छत्तीसगढ़ में माओवादियों की ओर से शांति वार्ता के लिए लिख...
सरकार का एक्शन जारी रखने की मांग, कहा- डर के कारण लिख रहे नक्सली पत्र:
रायपुर : छत्तीसगढ़ में माओवादियों की ओर से शांति वार्ता के लिए लिखे गए पत्रों पर अब बुद्धिजीवी वर्ग ने भी सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। शुक्रवार को राजधानी रायपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 15 से अधिक संगठनों ने एक सुर में नक्सलियों की कथित शांति प्रस्तावों को दिखावटी बताया।
इस मंच पर शामिल हुए पूर्व कुलपति प्रो. एस.के. पांडे, पूर्व आईएएस अधिकारी अनुराग पांडे, पूर्व उप-सॉलिसिटर जनरल बी. गोपा कुमार, पूर्व क्रेडा चेयरमैन सहित कई वरिष्ठ समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने नक्सलियों की मंशा पर सवाल उठाए। इंटलेक्चुअल फोरम के प्रतिनिधियों ने कहा:
> “हथियार लेकर कोई पीस मीटिंग नहीं करता। माओवादी संगठन सिर्फ दबाव में आकर और अपनी पकड़ कमजोर होती देख ये पत्र लिख रहे हैं। ये डर की भाषा है, न कि संवाद की।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्ताओं ने यह भी कहा कि सरकार को किसी भी सूरत में अपने सुरक्षा अभियानों को धीमा नहीं करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि:
> "यदि माओवादी सच में शांति चाहते हैं, तो उन्हें पहले हथियार छोड़ने होंगे। तब जाकर कोई सार्थक वार्ता संभव हो सकेगी।"
जनता का समर्थन जरूरी:
फोरम ने आम जनता से भी अपील की कि वे किसी भ्रम में न रहें और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाएं।
सरकार को मिला नैतिक समर्थन:
इस मौके पर सभी संगठनों ने राज्य सरकार के वर्तमान माओवादी विरोधी रवैये की सराहना करते हुए कहा कि इस अभियान को पूरी ताकत से जारी रखा जाए।
निष्कर्ष:
इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब समाज का बौद्धिक तबका भी माओवाद के खिलाफ खुलकर सामने आ रहा है। यह संकेत है कि नक्सलवाद के विरुद्ध छत्तीसगढ़ में एक व्यापक सामाजिक सहमति बन रही है।
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