तुर्की से अबूझमाड़ तक: नक्सली बसवाराजू को तुर्की में दी गई श्रद्धांजलि, छत्तीसगढ़ के माओवादियों के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का खुलासा: जगदलपुर:...
तुर्की से अबूझमाड़ तक: नक्सली बसवाराजू को तुर्की में दी गई श्रद्धांजलि, छत्तीसगढ़ के माओवादियों के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का खुलासा:
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के जंगलों से उठी लाल सलामी अब तुर्की की गलियों तक गूंजने लगी है। बस्तर के अबूझमाड़ में हाल ही में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए माओवादी संगठन के महासचिव बसवा राजू को तुर्की के वामपंथी संगठन ने श्रद्धांजलि दी है। इस घटनाक्रम ने नक्सलियों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की परतें खोल दी हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में तुर्की के वामपंथी कार्यकर्ता बसवा राजू को 'क्रांतिकारी योद्धा' बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। ये वही बसवा राजू हैं, जिनके खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत बड़ी कार्रवाई की थी।
पाकिस्तान कनेक्शन भी आया सामने:
बसवा राजू न केवल माओवादी रणनीति का प्रमुख चेहरा था, बल्कि उस पर पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को हथियार और ड्रोन सप्लाई कराने का भी आरोप था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, बसवा राजू का नेटवर्क नेपाल, म्यांमार और अब तुर्की तक फैला हुआ था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान मिले दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों में यह सामने आया कि वह ड्रोन के जरिए सीमापार हथियार पहुंचाने की तकनीक में भी माहिर था।
छत्तीसगढ़ में सक्रियता और वैश्विक समर्थन:
छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियाँ लंबे समय से जारी हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि इन संगठनों को वैश्विक वामपंथी ताकतों से भी वैचारिक और रणनीतिक समर्थन मिल रहा है। तुर्की में श्रद्धांजलि देना केवल संवेदना नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है।
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क:
इस खुलासे के बाद भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। विदेश मंत्रालय भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है। सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अब समय आ गया है जब नक्सली नेटवर्क को केवल घरेलू चुनौती नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय खतरे के रूप में देखा जाना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं