दंतेवाड़ा में बिजली संकट गहराया: 100 गांवों में 30 घंटे अंधेरा, ग्रामीणों ने चेताया आंदोलन से दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़): बस्तर की घाटियों में...
दंतेवाड़ा में बिजली संकट गहराया: 100 गांवों में 30 घंटे अंधेरा, ग्रामीणों ने चेताया आंदोलन से
दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़): बस्तर की घाटियों में बसे दंतेवाड़ा के सौ गांवों में बीते दो दिनों से अंधेरा पसरा हुआ है। लगभग 30 घंटे से लगातार बिजली आपूर्ति बाधित है, जिससे ग्रामीणों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। बच्चों की पढ़ाई, किसान की सिंचाई, और बीमारों की दवाई — सब कुछ इस काली रात में थम गया है।
गांववालों की व्यथा अब आक्रोश में बदल रही है। ग्रामीण संगठनों ने प्रशासन को अंतिम चेतावनी दी है — "यदि बिजली आपूर्ति तुरंत बहाल नहीं हुई, तो सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।"
सरकार की चुप्पी और विभागीय लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं। गांवों में न मोबाइल नेटवर्क है, न पीने का साफ पानी — और अब बिजली की अनुपस्थिति ने स्थिति को और भयावह बना दिया है।
ग्रामीणों की आवाज:
सीताम मुंडा, गांव पोटाली के सरपंच, कहते हैं, "बिजली नहीं होने से ट्यूबवेल नहीं चल रहे, मवेशियों को पानी नहीं मिल रहा। छोटे बच्चे गर्मी से बेहाल हैं। हमने कई बार बिजली विभाग को सूचित किया, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।"
बिजली विभाग का कहना है कि तेज आंधी और पेड़ गिरने से लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, और मरम्मत कार्य जारी है। लेकिन लोगों का सब्र अब जवाब देने लगा है।
जनआंदोलन की तैयारी:
ग्रामीण पंचायतों ने एकजुट होकर अगले 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो ब्लॉक कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।
यह संकट केवल बिजली का नहीं, प्रशासनिक उत्तरदायित्व और जन-संवेदनशीलता का भी है। दंतेवाड़ा की आवाज अब सिर्फ अंधेरे से नहीं, बल्कि अनदेखी से भी लड़ रही है।
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