33 जिलों की पड़ताल में उजागर हुआ बड़ा घोटाला, 10,000 स्कूलों में अब भी दिव्यांगों के लिए शौचालय नहीं रायपुर: छत्तीसगढ़ में दिव्यांग बच्चों...
33 जिलों की पड़ताल में उजागर हुआ बड़ा घोटाला, 10,000 स्कूलों में अब भी दिव्यांगों के लिए शौचालय नहीं
रायपुर: छत्तीसगढ़ में दिव्यांग बच्चों की सुविधा के नाम पर चौंकाने वाला भ्रष्टाचार सामने आया है। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2011 से अब तक दिव्यांग बच्चों (Children With Special Needs - CWSN) के लिए विशेष शौचालयों के निर्माण पर 195 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस राशि से प्रदेशभर में कुल 38,471 टॉयलेट बनाए गए। लेकिन, 33 जिलों की पड़ताल में यह खुलासा हुआ कि इनमें से करीब 90% शौचालय या तो अधूरे हैं, जर्जर हो चुके हैं या कभी उपयोग में ही नहीं आए।
जमीनी हकीकत यह है कि आज भी प्रदेश के 10,000 से अधिक स्कूलों में दिव्यांग बच्चों के लिए एक भी उपयुक्त शौचालय उपलब्ध नहीं है। नतीजतन, दिव्यांग विद्यार्थियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है, और कई बार तो वे स्कूल आना ही छोड़ देते हैं।
जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य:
कई जगह शौचालय सिर्फ कागजों पर बने दिखाए गए।
अधिकांश में रैम्प नहीं, दरवाजे तंग, दिव्यांग फ्रेंडली सुविधाओं का नामोनिशान नहीं।
कई स्कूलों में बनीं टंकियां कभी पानी से भरी ही नहीं गईं।
ठेकेदारों ने मनमाने तरीके से निर्माण किए, गुणवत्ता की कोई निगरानी नहीं हुई।
शिक्षा विभाग मौन, दिव्यांग बच्चों का भविष्य दांव पर:
शिक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई ठोस जवाबदेही तय नहीं की गई है। न अधिकारियों पर कार्रवाई हुई और न ही ठेकेदारों पर। यह न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि संवेदनशील बच्चों के अधिकारों की अनदेखी भी है।
समाज का सवाल:
क्या दिव्यांग बच्चों के नाम पर यह घोटाला केवल भ्रष्टाचार की मिसाल बनकर रह जाएगा? क्या कोई जिम्मेदार सामने आएगा? या फिर यह मुद्दा भी बाकी घोटालों की तरह धूल फांकता रहेगा?
जरूरत है जवाबदेही और सुधार की:
इस गंभीर अनियमितता पर सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। दोषियों पर सख्त कार्रवाई और अधूरी सुविधाओं को पूर्ण रूप से दिव्यांग-उपयुक्त बनाना अनिवार्य है। दिव्यांग बच्चों को सम्मानजनक और समावेशी शिक्षा का अधिकार है, और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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