भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में जारी हुए 'स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र', ATS की जांच में सामने आए तथ्य: रायपुर, छत्तीसगढ़ : राजधान...
भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में जारी हुए 'स्थानीय निवासी प्रमाण-पत्र', ATS की जांच में सामने आए तथ्य:
रायपुर, छत्तीसगढ़ : राजधानी रायपुर में बांग्लादेशी घुसपैठियों को अवैध रूप से बसाने को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। राज्य एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) की ताजा जांच में कांग्रेस शासनकाल में हुई गंभीर लापरवाहियों और कथित राजनीतिक संरक्षण के संकेत मिले हैं।
जानकारी के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान टिकरापारा क्षेत्र के तत्कालीन पार्षद और कांग्रेस नेता अमित दास पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर बांग्लादेशी नागरिकों को 'स्थानीय निवासी' प्रमाण-पत्र जारी किए। ये प्रमाण-पत्र उनके निजी लेटरहेड पर तैयार किए गए, जिनके आधार पर घुसपैठियों ने राशन कार्ड, आधार कार्ड सहित अन्य दस्तावेज भी बनवाए।
सूत्रों के अनुसार, रायपुर सेंट्रल जेल में बंद तीन बांग्लादेशी भाई – मो. इस्माइल, शेख अकबर और शेख साजन – की पूछताछ के दौरान यह चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ। पूछताछ में इन तीनों ने कांग्रेस नेता अमित दास का नाम लिया है। जांच एजेंसियों का मानना है कि दास के साथ-साथ दो अन्य संदिग्धों की भूमिका भी संदिग्ध है और जल्द ही तीनों की गिरफ्तारी हो सकती है।
विशेष सूत्रों के अनुसार, यह नेटवर्क केवल दस्तावेज बनवाने तक सीमित नहीं था, बल्कि रायपुर के संवेदनशील क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से इन घुसपैठियों को बसाया गया। पूरे मामले की जांच अब केंद्रीय एजेंसियों के साथ साझा की जा रही है।
राजनीतिक हलकों में हलचल:
इस खुलासे से प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ दिया है। भाजपा प्रवक्ता ने इसे “घातक मिलीभगत” करार देते हुए तत्काल उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार:
वहीं, कांग्रेस की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, पार्टी के भीतर भी इस प्रकरण को लेकर चिंता की स्थिति बनी हुई है।
जांच एजेंसियों द्वारा जुटाए जा रहे डिजिटल और दस्तावेजी सबूतों के आधार पर यह प्रकरण आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है।
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